क्या तुम एक विश्वविद्यालय हो ?
मैंने कहा -मेरे अश्रुओं में
असीमित घनमीटर की वेदनाएं हैं.
तुम ने अपने तकनीकी हाथों से
स्पर्श करके
उनको बहा दिया.
देह भर आतंरिक चोटें है तो
तूने अपने स्टेतसस्कोप अदरों से
जाँच की तो चोटों का दर्द नदारद.
मैंने कहा -मेरा ह्रदय पारेजैसा है
किसीसे चिपकेगा नहीं.
तुमने अपने पिपेट नयनों से चूस लिया.
क्या तुम अपनी रसायिनिक जांच पूरी कर चुकी हो.?
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माँ टेरसा.
गंदे आदमी भी ,
माँ के हाथों से सुन्दर बन गए.
रोते रोगी ,कुष्ट रोगी
माँ के रिश्तेदार बने.
कीड़े के घाव धोने
मुस्कराहट के फूल बनी माँ .
भूमी में नई चांदनी छिडकी
चाँद बनी.
ठुकराए घृणित लोगों के
मन में मधुरस बनी.
पवित्र नारी बन
भूमि पर चलती -फिरती
विश्वास की लौ बनी.
उनके प्यार का पात्र बनी .
दरिद्रता की क्रूरता के हाथों में
कष्ट सह्नेवालों को हर्ष की वर्षा बनी.
कूड़ेदान में पड़े अनाथ बच्चों की माँ बनी
सभी अनाथों को पूजनीय बनी.
आंसू पोंछने के कर बनी
प्यार ही ईश्वर , केसंदेश
माँ की ज्योति को
ह्रदय में प्रज्वलित करेंगे.
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