Monday, December 29, 2014

वह है भगवान

 ईश्वर  को स्नान कराके ,
सुंदर आकार में सजाना,
सनातन धर्म में कब से प्रचलित?
आदि कवि वालमीकी को
ईश्वर दर्शन तो वन में मिला.
कालीदास तो मूर्ख ,
उसने सजाया या मंत्रों का
उच्चारण किया ही नहीं,
उनको कवित्व मिला.
विश्वविद्यालय की पढाई नहीं
रैट ब्रदर्स ने विमान का  किया
आविष्काऱ.

अनपढ कबीर बने  वाणी का डिकटेटर

यों ही हर एक के जीवव में प्रेरणाएँ

चतुराई होशियारी कैसे?

सोचो तो पता चलेगा..

एक गूढ तत्व से मिलती प्रेरणा़

वह है अदृश्य ़...वह है भगवान.

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