बिना जड़ की वनस्पतियाँ
ये लम्बे पेड़ ,
बड़े होने पर भी
परिपक्व न हुए.
मकरंद के इनकार करने से
कच्चे फलों से अपरिचित.
बीज कृत्रम उत्पन्न होनेवाले
वैज्ञानिक युग में भी
पारिवारिक नियोजित बैल.
दो पैरों के तबेदिक कीड़े.
मंडराने को श्रेष्ठ मानकर
जूठे पानी में रह्नेवई काई.
पद के यज्ञ की अग्नि में
अपने स्वाभिमान जलानेवाले
नकली मुनि .
सूटकेस के आँखे मारनेपर
लेने तैयार अभिनय पुरुष.
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मैंने अपने गाँव खो दिया
मैंने अपने गाँव खो दिया.
पसीने बहाकर कठोर मेहनत करके
मेरे दादा ने घर बनवाया.सुन्दर घर
अब अपनी शोभा खो बैठी.
उस घर के तुलसी मंडप पर दीप न जला.
अपने मन से दीपाराधना करने
कोई हाथ नहीं.
उस घर के आँगन में
मेरे स्वागत की प्रतीक्षा में
किसी की आँखे नहीं.
उस घरके बाग़ में
पेड़ पोधे हैं ,पर न फूल ;न कलियाँ.
आजकल वहाँ चूड़ियों की ध्वनियाँ नहीं.
ह्रदय लुभानेवाली रेशमी साड़ियों के
सर-सर आवाज नहीं.
स्कूल की थैली या स्लेट नहीं;
उछल कूदकर
आँख मिचौनी खेलने या
कबाड़ी खेलने कोई नहीं वहाँ.
वहाँ पहले जो कुछ था ,
वह अब नहीं.
जो वहां नहीं था वह भी खो गया .
मुझमें जो मधुर गांव था
उसे मैंने खो दिया .
अपने नाम खोये अपने गांव को
मैंने खो दिया.
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