Friday, December 5, 2014

राष्ट्रपिता अनूदित கவி ---எழில் வேந்தனின் வெளிச்சங்கள் கவிதைத் தொகுப்பின் ஹிந்தி மொழி ஆக்கம்.

            राष्ट्रपिता 

दासता अन्धकार मिटाने आये   स्वतंत्रता  त्याग के  लौ.

   हे  राष्ट्रपिता!  सडकों के किनारे पर  के लोगों  की आवाज़  सुनिए.
        बने-बनाए अलंकृत चेहरों को देखकर 
        हम  आदि हो गए हैं.
तेरे  सच्चे चेहरे  का पता लगाना ,
नहीं आसान हमारे लिए.
   निवेदन  है ज़रा दें अवकाश।

ख़्वाब के बोलपट  के कट-अवुट  के चरणों पर 
तमिल कवितायें घुटने टेक 
तपस्या करने का काल है यह.

गोरे दुह्शासन चर्चिल ने तुझे कहा--
अर्द्ध नग्न फकीर.
तुझे पांचाली बनाकर  हंसी उड़ाया.
इसीलिये  हमारे जोशीले कवि 
भारती ने  लिखा "पांचाली शपथ -उद्वेग के साथ.
उस देश -भक्त चिंगारी को 
आपने स्पष्टरूप से समझा। 
उसकी सुरक्षा की बात बतायी.
तब के नेता उस अंगारे कवि  की सुरक्षाका न सके.
हम आज इसी चिंता में है --
  क्या आज के नेता ,
हमारी आजादी की सुरक्षा बिना चोट के  कर सकते हैं.
 हम प्रतीक्षा करते हैं --
रात में मनुष्य दया से कुछ छोड़ रखें कि नहीं.
उस दिन तूने धार्मिक कट्टरता  क लिए 
अपने देह का बलिदान किया.
वह धार्मिक कट्टरता आज देश को ही बलि के लिए 
माँग रही है.
आज  
भारत माता के सर से लेकर चरण तक 
पापी धार्मिक फैलाते हैं आतंक.
    तू  तो ठीक है ,आजाद भारत में जन्म लेकर,
   स्वतंत्र  भारत में तेज़ आँखें बंद कीं।
तू ने कहा-सच्ची आजादी तभी सार्थक , तब स्वर्णाभूषणों से 
सजी महिला  आधी रात घूम अकेले घर लौट जाए.

आजकल रात में क्या ,दिन में घूमना भी 
आतंक लगता है.
ऐसे समय आना हैरान  की बात नहीं ,
कुर्तों पर भी ताला लगाने पड़ें, बटन के बदले.
 हमें डर लगता है --
देश की घटनाएं देखकर 
आजाद भारत में जन्मे हम 
गुलाम भारत में  अंत हो जायेंगे.
हम नहीं चाहते ,
हमारे नेता तेरे जैसे महात्मा बने.
मन के गवाह के अनुसार 
औसत आत्माएं  बनना काफी है 
हमारा भारत इतिहास में 
साधना की चोटी पर पहुंच जाएगा.

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