Saturday, December 6, 2014

main hoon bharateey मैं हूँ भारतीय

मैं  न हिन्दू ,न मुस्लिम ,न ईसाई ,

इन सब के पहले  

मैं हूँ भारतीय.

साहित्य पढ़ा.

इतिहास  पढ़ा.

साहित्य के शुरुआत में 

लड़ते थे  राजा एक लडकी के लिए.

राष्ट्र की नहीं  चिंता;

न समाज और  जातियों की .

जिसका खाना,उसी का गाना.

वही आज  फिर पट-कथाएं दोहरा रहीं  हैं. 

इतिहास  में तो देश द्रोही ,

विदेशियों  के हाथ पकडे ,
उनको दे निमंत्रण,
बनाया देश को गुलाम.
भारतीय मंदिर ,सम्पत्ति ,प्राकृतिक 
समृद्धि , देख-सुन  विदेशी

लुटेरे आये ,तोड़े  मंदिर ,लूटे ,
खूब-धन .
वे  तो नहीं कलाप्रिय,

मन्दिर की सुन्दर मूर्तियाँ तोड़े 
निर्दयी ,लाखों के प्राण लिए ,
अपने लिए अलग देश माँग हटे;
उदार भारत के नेताओं  ने 
अन्य  धर्मों  को भी मिलाकर 
धर्म निरपेक्ष्य शासन स्थापित किया;
संविधान के सामने सब बराबर.

हिन्दू ,मुस्लिम ,सिक्ख ,ईसाई 
आपस  में रहे भाई -भाई;

आज  देखता हूँ  फिर भारत में 

स्वार्थ नेता,धार्मिक  अपने निज 
लाभ के लिए ,

जातिवाद  बढ़ा रहे हैं ,
धर्म के नाम लड़ा रहे हैं ,
सांसद ओवासी  भटका रहा है 
दो  पंद्रह  मिनट ,

सब भारतीय हिन्दुओं को 

मिट्टी में मिला  दूँगा;

भारतीय संविधान ने दिया है ,

इतना बड़ा अधिकार;

यदि  ऐसी बात कोई हिन्दू कह सकता है ?

न  कहेगा वह तो उदार ;
रूप -अरूप  माननेवाला.

आम लोगों में नहीं भेद-भाव.
स्वार्थी नेता जी रहें हैं 
फूट को बना आधार.
जागो! भारतीयों ,
न लड़ो धर्म के नाम.
ईश्वर एक पहुँचने का मार्ग अनेक.

कोई बच्चा पैदा नहीं होता 
हिन्दू ,मुस्लिम ,ईसाई मुहर लगाकर ,

ये सब स्वार्थी  धार्मिकों  का अधर्म काम,

इंसानियत  समझो,
इंसानियत निभाओ .

भारतीय बनो .
करो रक्षा देश की .
मैं हूँ पहले भारतीय .

बाद में हूँ धार्मिक .

मैं हूँ पहले भारतीय.







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