Search This Blog

Monday, October 1, 2018

जग का रंगमंच

जग का रंग मंच
*****************
भगवान की सृष्टि में
मैंने कल एक दृश्य देखा। 
एक मेंढक तीन तारों की पंक्ति में
निचली तार में था।
ऊपरी तार में एक पतंग।
मेंढक का जीभ लंबा था.
थोड़ी ही देर में पतंग उसके पेट में।
पंच ज्ञान के जानवर से लेकर मनुष्य तक
भगवान ने एक से बढ़कर एक
बलवान की सृष्टियाँ की हैं.
सबको बचने -बचाने -बचवाने की बुद्धि दी है।
वनस्पतियाँ दूसरों के लिए .
फूल ,फल ,जड़ सब दूसरों के लिए.
नदी ,नाले ,पंक -तालाब दूसरों के लिए.
छोटी मछली बड़ी मछली के लिए.
शासक देश -प्रजा के कल्याण के लिए।
इनके बीच देश द्रोही ,चोर ,डाकू ,स्वार्थी ,
लोभी ,लालची ,क्रोधी ,ईर्ष्यालु ,
इनके साथ के अटल नियम
जन्म -मृत्यु - चंद साल जीवन क्रीड़ा।
मानसिक संग्राम , पारिवारिक संघर्ष ,
धार्मिक संघर्ष ,जातियों का संघर्ष ,
,भाषा ,देश-सीमा ,वर्ग संघर्ष
साँस रुक जाते ही लाश
कोई उस शरीर की
इज्जत से नहीं देखता।

No comments:

Post a Comment