भ्रष्टाचारी सब आस्तिकवाद नहीं,
आस्तिकवाद सब भ्रष्टाचारी नहीं
हर आदमी नेक नहीं
नेक सब सुखी नहीं.
यथार्थवादी सब बहुजन विरोधी.
बहुजन सब आदर्शवाद नहीं.
झूठा सब सुखी नहीं,
सच्चा सब दुखी नहीं.
क्षण क्षण में बात बदलती है,
क्या सच क्या झूठ पता नहीं.
सब के नचयिता एक ऐसी शक्ति.
मानो वह ईश्वर या अनीश्वर.
सत्य बोल, असत्य बोल.
दुनिया में कोई सुखी नहीं.
एकांत में बैठ हर कोई
रोता जरूर.
आस्तिकवाद सब भ्रष्टाचारी नहीं
हर आदमी नेक नहीं
नेक सब सुखी नहीं.
यथार्थवादी सब बहुजन विरोधी.
बहुजन सब आदर्शवाद नहीं.
झूठा सब सुखी नहीं,
सच्चा सब दुखी नहीं.
क्षण क्षण में बात बदलती है,
क्या सच क्या झूठ पता नहीं.
सब के नचयिता एक ऐसी शक्ति.
मानो वह ईश्वर या अनीश्वर.
सत्य बोल, असत्य बोल.
दुनिया में कोई सुखी नहीं.
एकांत में बैठ हर कोई
रोता जरूर.
No comments:
Post a Comment