Wednesday, October 24, 2018

सनातन धर्म की देन

आज मन में उठे विचार
स्वयं चिंतक
स्वरचित। ---से .अनंतकृष्णन
पितृभक्ति ,मातृ भक्ति ,
देश भक्ति ,ईश्वर भक्ति ,
भाषा भक्ति ,राज भक्ति
इनमें से
भारतीयों में कौन-सी
भक्ति सुदृढ़ .
सब में कमी हैं।
सब में अस्थिरता है।
सब में दृढ़ता है।
एक ज्योतिष कहता
मैं हूँ हनुमान भक्त।
दूसरा कहता देवी उपासक।
तीसरा कहता शिव
चौथा कहता विष्णु।
पाँचवाँ कहता राम.
छठवाँ कहता कृष्ण।
सातवाँ कहता गणेश।
आठवाँ कहता कार्तिकेय।
नौवाँ कहता दुर्गा उपासक।
दसवाँ कहता लक्ष्मी उपासक।
फिर आश्रम महिमा।
अहम् ब्रह्मास्मि। मैं हूँ भगवान।
मन की लहरें उठती रहती।
सद्यः फल की खोज में
भटकता रहता हिन्दू सनातन धर्मी।
न विश्वास, न एकता,न दृढ़ता।
बिल्लियों की लड़ाई में
बन्दर बना न्यायाधीश।
मिली रोटी को
खुद खा लिया बन्दर।
आपसी लड़ाई तीसरे को फायदा।
तीसरा धनी हो तो
महासंख्यक चुप चुप।
भरा द्रोहियों से ,
न एकता ,न विजय।
देश तो अलग दे दिया ;
बन गया मंदिर तोड़, मस्ज़िद .
राम मंदिर ?
नेता गए रहे हैं
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई
आपस में हैं भाई।
महासंख्यक को कोई न हक़.
अल्पसंख्यक को अधिकार सुरक्षा।
कहते अंत में धर्म निरपेक्ष।
मंदिर सरकार के पास.
आय सरकार को.
तत्काल शासक अधिकारी को ,सोना चाँदी .
हिन्दू जा रहा हैं
अपने में कौन बड़ा ?के मुकद्दमा चलाने।
तिलक दक्षिण कला?या उत्तर कला?
तमिल अर्चना या संस्कृत।
तीसरा कुरान की भाषा मूल.
ईसाई बड़े चतुर।
अनुवाद कला में निपुण।
हिंदी प्रार्थना,तेलुगु प्रार्थना ,तमिल प्रार्थना।
आपसी भेद भाव द्वेष हैं ,पर
बाहर प्रकट होने न देते।
फिर भी सनातन धर्म सुरक्षित।
विकसित ,शाश्वत, सशक्त।
जय हो भारत।
लूटने वाले लूटते रहें।
भोगनेवाले भोगते रहें।
पर अंत में वह भी सनातन धर्मी।
मक्का के शिवलिंग।
ईसाई की मूर्ति पूजा ,
मेरी माता की पूजा
सनातन धर्म की देन।

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