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Monday, October 15, 2018

अति मुश्किल

मैं जानता,
 समझता,
जग क्या है?
जग स्वार्थ, अति स्वार्थ,
यथार्थ  को जानता  है,
सत्य को जानता है.
ईमानदारी जानता है पर
ऐसी बुद्धि  से जीनेवाले
 कष्ट ही उठाये हैं अधिक.
ईश्वरावतार कष्ट का प्रतीक.
ईश्वरावतार  यही ससिखाता
धर्म  को जीतना अति मुश्किल.
एक अधर्मी वर पुत्र
उसको वध करने
राजकुमार  होकर भी वन में
भटकना पड़ा.
अपनी पत्नी नदारद
पत्नी  की तलाश में भटकना पडा.
सहायक बने शुग्रीव के भाई  तो
छिपकर वध करना पडा.
कृष्णावतार में कितने  अधर्म
कितना दुख, कितना शाप.

ईश्वर की सूक्षमता न जान सका,
न समझ सका.
मैं हूँ पागल
सब की नज़र में
मैं हूँ अभागा सब की नज़र में
पर मुझे यही लगता
इस पागल का भी
 काल नहीं छोडता
उस पापी को भी
काल नहीं छोडता.
चतुर को भी
काल नहीं छोड़ा.
चालाक को भी
काल नहीं छोड़ता.
 धनियों  को भी
काल नहीं छोड़ा.
गाडियों को भी काल नहीं छोडता
नायक को  भी काल नहीं छोड़ा.
खलनायक को भी
 नहीं छोडता काल.
पर एक खास बात
सदा के लिए  रह जाती.
नायक नायिका
 खल नायक के नाम.
ऐसे ईश्वर की लीला
जानना समझना
 अति मुश्किल़














भगवान कहाँ है.
भगवान है

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