Monday, October 29, 2018

इंसानियत या मनुष्यता ही प्रधान।

नमस्कार।
प्यार की नीति निभाना
प्रेमी जानता है या प्रेमिका।
प्रेम एक पक्षीय या द्वि पक्षीय।
प्रेम तंग गली या बड़ा रास्ता।
प्रेम में लग जाते चंद दिन
चाँदी की चिड़िया के लिए.
प्रेम में लग जाते ,रूप-मोह में
धन सुख ,तन सुख ,स्वार्थ भोग।
ऐसे भी कई प्रेम निभाते
धन ,तन ,मन परायों के लिए।
कहानियाँ सच्ची हो या काल्पनिक ,
आदर्श हो यथार्थ ,प्रेम अति स्वार्थ।
मीरा का प्रेम या आण्डाल का प्रेम
ईश्वर के दिल में वास ;
अपने दिल में ईश्वर ,ईश्वर के दिल में वे.
वहाँ परायों का स्थान नहीं।
नायक -नायिका प्रेम ,
खलनायक -खलनायिका बीच में
यह दैविक कहानियों में हैं ,
है मानव कहानियों में।
प्रेम श्रद्धा - भक्ति में बदल जाएँ तो
अनासक्ति ;फिर न लोक की चिंता ,
न अपनी चिंता;
सर्वश्व सर्वेश्वर संभालेगा ;
सबहीं नचावत राम गोसाई
ऐसे चुप भगवान रहने न देता।
विश्व कल्याण की भावना जगाता।
देश प्रेम संकुचित ,
प्रशासन प्रेम संकुचित।
विश्व कल्याण भाव अति विस्तृत।
सर्वे जनसुखीनो भवन्तु।
देशप्रेम ,मातृ-भाषा प्रेम ,
प्रेम शब्द ही संकुचित।
ताजमहल प्रेम का चिन्ह
उस कहानी में निर्दयता /बेरहमी की चरम सीमा।
मुमताज के पति की हत्या।
ताजाहल के कारीगरों के हाथ काटना
ऐसे आदर्श यथार्थ प्रेम बलात्कार का मूल.
सच्चे प्रेमी वही जिनके लगन से
जग की भलाई हो;
सब की भलाई हो;
चंद्र -सा, सूर्य -सा ,हवा -सी ,जल-सा ,भूमि-सा
ये तटस्थ ,
न मुसलमान ,न हिन्दू ,न सिख , न बौद्ध ,न ईसाई
इंसानियत या मनुष्यता ही प्रधान।

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