Anandakrishnan Sethuraman
तीन दिन शक्ति प्रदान के लिए ;
काया सही नहीं तो
मनुष्य वाग्वीर .
न कर सकता कोई क्रिया।
अतः पहले तीन दिन शक्ति देने
शक्ति की पूजा।
अगले तीन दिन धन रहित
न कोई काम.
भूखा भजन नहीं गोपाला!
नंगा तो अघोरी हो सकता हैं
बिन पैसे कपडे कहाँ ?
धन के बिना हम एकलव्य नहीं ,
अंगूठा देने उतने गुरु भक्त नहीं।
शक्ति-धन हो तो विद्या गुलाम।
दिमागी काम को टुकड़े दे दो ,
बनो कालेज का मालिक।
शिक्षा तेरे नाम लेकर प्रशंसा करेगी।
आज कल निजी महाविद्यालय के प्रोफेसर को
वेतन पाँच हज़ार से पंद्रह हज़ार।
हर जैसे में धनियों का ,
उन दानियों का सम्मान जो
दस लाख से करोड़ तक लेते दान।
कालेज मेडिकल इंजिनीरिंग हो तो
मालामाल।
पहली श्रेणी के स्नातकोत्तर सलाम करता रोज़.
अंतिम तीन दिन सारस्वती की पूजा।
दुर्गा की भव्य मूर्ति का ,जिनको कलाकार
अति परिश्रम से अति श्रद्धा से अति सुन्दर बनाता
उस दुर्गा की मूर्ति को
लापरवाही से विसर्जन के नाम फेंकते अपमानित।
यों ही गणेश चतुर्थी का.
यदि विदेशी करें तो चीखते -चिल्लाते
पर हिन्दू करता छिन्न भिन्न।
Anandakrishnan Sethuraman दुर्गा पूजा की चर्चा ? कैसी चर्चा ?
तीन दिन शक्ति प्रदान के लिए ;
काया सही नहीं तो
मनुष्य वाग्वीर .
न कर सकता कोई क्रिया।
अतः पहले तीन दिन शक्ति देने
शक्ति की पूजा।
अगले तीन दिन धन रहित
न कोई काम.
भूखा भजन नहीं गोपाला!
नंगा तो अघोरी हो सकता हैं
बिन पैसे कपडे कहाँ ?
धन के बिना हम एकलव्य नहीं ,
अंगूठा देने उतने गुरु भक्त नहीं।
शक्ति-धन हो तो विद्या गुलाम।
दिमागी काम को टुकड़े दे दो ,
बनो कालेज का मालिक।
शिक्षा तेरे नाम लेकर प्रशंसा करेगी।
आज कल निजी महाविद्यालय के प्रोफेसर को
वेतन पाँच हज़ार से पंद्रह हज़ार।
हर जैसे में धनियों का ,
उन दानियों का सम्मान जो
दस लाख से करोड़ तक लेते दान।
कालेज मेडिकल इंजिनीरिंग हो तो
मालामाल।
पहली श्रेणी के स्नातकोत्तर सलाम करता रोज़.
अंतिम तीन दिन सारस्वती की पूजा।
दुर्गा की भव्य मूर्ति का ,जिनको कलाकार
अति परिश्रम से अति श्रद्धा से अति सुन्दर बनाता
उस दुर्गा की मूर्ति को
लापरवाही से विसर्जन के नाम फेंकते अपमानित।
यों ही गणेश चतुर्थी का.
यदि विदेशी करें तो चीखते -चिल्लाते
पर हिन्दू करता छिन्न भिन्न।
तीन दिन शक्ति प्रदान के लिए ;
काया सही नहीं तो
मनुष्य वाग्वीर .
न कर सकता कोई क्रिया।
अतः पहले तीन दिन शक्ति देने
शक्ति की पूजा।
अगले तीन दिन धन रहित
न कोई काम.
भूखा भजन नहीं गोपाला!
नंगा तो अघोरी हो सकता हैं
बिन पैसे कपडे कहाँ ?
धन के बिना हम एकलव्य नहीं ,
अंगूठा देने उतने गुरु भक्त नहीं।
शक्ति-धन हो तो विद्या गुलाम।
दिमागी काम को टुकड़े दे दो ,
बनो कालेज का मालिक।
शिक्षा तेरे नाम लेकर प्रशंसा करेगी।
आज कल निजी महाविद्यालय के प्रोफेसर को
वेतन पाँच हज़ार से पंद्रह हज़ार।
हर जैसे में धनियों का ,
उन दानियों का सम्मान जो
दस लाख से करोड़ तक लेते दान।
कालेज मेडिकल इंजिनीरिंग हो तो
मालामाल।
पहली श्रेणी के स्नातकोत्तर सलाम करता रोज़.
अंतिम तीन दिन सारस्वती की पूजा।
दुर्गा की भव्य मूर्ति का ,जिनको कलाकार
अति परिश्रम से अति श्रद्धा से अति सुन्दर बनाता
उस दुर्गा की मूर्ति को
लापरवाही से विसर्जन के नाम फेंकते अपमानित।
यों ही गणेश चतुर्थी का.
यदि विदेशी करें तो चीखते -चिल्लाते
पर हिन्दू करता छिन्न भिन्न।
काया सही नहीं तो
मनुष्य वाग्वीर .
न कर सकता कोई क्रिया।
अतः पहले तीन दिन शक्ति देने
शक्ति की पूजा।
अगले तीन दिन धन रहित
न कोई काम.
भूखा भजन नहीं गोपाला!
नंगा तो अघोरी हो सकता हैं
बिन पैसे कपडे कहाँ ?
धन के बिना हम एकलव्य नहीं ,
अंगूठा देने उतने गुरु भक्त नहीं।
शक्ति-धन हो तो विद्या गुलाम।
दिमागी काम को टुकड़े दे दो ,
बनो कालेज का मालिक।
शिक्षा तेरे नाम लेकर प्रशंसा करेगी।
आज कल निजी महाविद्यालय के प्रोफेसर को
वेतन पाँच हज़ार से पंद्रह हज़ार।
हर जैसे में धनियों का ,
उन दानियों का सम्मान जो
दस लाख से करोड़ तक लेते दान।
कालेज मेडिकल इंजिनीरिंग हो तो
मालामाल।
पहली श्रेणी के स्नातकोत्तर सलाम करता रोज़.
अंतिम तीन दिन सारस्वती की पूजा।
दुर्गा की भव्य मूर्ति का ,जिनको कलाकार
अति परिश्रम से अति श्रद्धा से अति सुन्दर बनाता
उस दुर्गा की मूर्ति को
लापरवाही से विसर्जन के नाम फेंकते अपमानित।
यों ही गणेश चतुर्थी का.
यदि विदेशी करें तो चीखते -चिल्लाते
पर हिन्दू करता छिन्न भिन्न।
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