Friday, October 26, 2018

वधु मिलना मुश्किल।

नारी नहीं होती तो 
दुःख कहाँ ?नर को ;सुख कहाँ ? 
संतान भाग्य नहीं होता तो 
तुतली बोली की मधुरिमा कहाँ ?
नर से पीड़ित नारी में 
दया ,ममता ,सेवा के भाव नहीं होते तो
पौरुष नहीं होता जान.
कर्म फल पुरुष को भोगने का
अब आ गया ;
सीता अब होती तो
राम को ही फिर वनवास।
पुरुष रक्षक संघ की ज़रुरत आ पडी।
थीं बूढी कन्याएँ ,पर अब बूढ़े हैं , वधु मिलना मुश्किल।

No comments:

Post a Comment