Wednesday, October 10, 2018

मनुष्यता है नहीं

ॐ  गणेशाय नमः

आज   मेरे  मन  में उठे विचार :-

आध्यात्मिक बातें
अग  जग  में  हो  रही  हैं.
ईश्वरीय भय ,ईश्वरीय दंड का भी
 महसूस कर रहे हैं.
वेद ,पुराण ,कुरान ,बाइबिल  आदि का
यशोगान  कर  रहे  हैं.
ज्ञात की बात है दुनिया अशाश्वत है.
अशाश्वत जवानी हैं ,
शाश्वत मृत्यु है;
फिर भी मनुष्य धन जोड़ रहा हैं ;
अन्याय का साथ दे रहा हैं।
देश द्रोह ,मित्र द्रोह,पति-पत्नी का आपसी द्रोह,
माता पिता के प्रति श्रद्धा -भक्ति ,
प्रेम पूर्ण व्यवहार। या  नफरत पूर्ण व्यवहार
ये सब कोरी -कोरी बात नहीं ,
बासी बातें हैं ,फिर भी कोरी।
दुःख की बात हैं  कि  ईमानदार, सत्यवान ,त्यागी ,
परिश्रमी  के बुनियाद में जीने वाले परावलम्बी ,
ठगी सुखी हैं ,उच्च पद पर है,
वे कहते हैं -वह तो बेचारा भला आदमी है.
अब  मनुष्यता  या इंसानियत नहीं  है.

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