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Sunday, October 14, 2018

भगवान है एक ज्योति स्वरूप.

नाम है भिन्न
सोना एक, मिट्टी एक!
रूप अनेक.
मूल एक.
सोचा नहीं किसीने
जब जहाज डूबा,
न अल्ला ने बचाया.
न ईसा ने बचाया.
न शिव -विष्णु ने बचाया.
सब के सब लाखों की ढेरी.
न अंतिम क्रियाएं मज़हबी.
गाढा गए एक साथ.
न भेद देखता सुनामी.
न भेद देखता भूकंप.
न भेद देखता ज्वालामुखी.
न भेद देखता जंगली नदी बाढ.
स्वार्थ  ही ईश्वर का रूप रंग देकर
मूल मज़हब को टुकडा करके
तिलक में भी  भेद बनाकर
एक को अनेक बनाकर
इनसानियत को गाढ़ता गढ़वाकर
बेचैनी कर देता संसार को.
भगवान है एक ही.
गांधी को एक मंदिर
सोनिया खान गांधी कोएक मंदिर
यम. जी. आर को एक मंदिर.
मायावती को पराशक्ति का रूप.
यह तो मानव लीला.
कृष्ण भगवान है तो
षडयंत्र की हत्या क्यों?
ईसा को शूली क्यों?
मुहम्मद  को पत्थर का मार क्यों?
सत्यवान  को  श्मशान में नौकरी क्यों?
शैतानियत की शक्ति बडी तो
ईश्वर कैसे सर्वशक्तिमान ?
सूक्ष्म ईश्वर एक.
न रूप न रंग
वह है ज्योति  स्वरूप.
बाकी आकार मानव सृष्टित.
ईश्वर तो निराकार.
पाप को न देता
षडयंत्र का वध.
पत्नी को अपहरण के लिए
छोड आदर्श  न दिखाया जान.
ईश्वर एक ज्योति  स्वरूप. 
 बाकी सब  मानव सृष्टित
ईश्वर खुद अवतार  लेकर
अधर्म से जीता युद्ध. तो
ये अवतारी  अधर्मी  ईश्वर कैसे?
अवतारी पुरुष को कष्ट झेलने है तो
धर्म की स्थापना  कैसी?
 ज्योति स्वरूप भगवान
सब को जिलाता,
सब को जलाता.
सब से बराबर व्यवहार  करता.
न अर्जुन के लिए
एकलव्य को निकम्मा  करता.
ये सब मानव निर्मित कहानियाँ.
खलनायक खलनायिका  होती.
बाघ हिरन का शिकार  करता.
बडी मछली छोटी को निगलती.
जिसकी लाठी उसकी भैंस की नीति चलती.
सिद्ध  भक्त इन  अवतारों  को न मानता.
ऐसे ही गाती कबीर -सा
चारी भुजा के भजन में भूले पडे सब संत
कबीला पूजा तासु को
जिनका भुजा अनंत.
जानो-पहचानो. समझो-जागो
समझाओ- जगाओ
भगवान एक ज्योति स्वरूप.
सूर शशि समान ,
रोशनी पहुँचाना में भेद नहीं.








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