Thursday, October 25, 2018

भक्ति

 भक्ति  क्या है ?
  ठीक मार्गदर्शक  मिलने  की खोज में
 कई भटकते हैं।
किसीने निश्चित मार्ग नहीं दिखाया।
किसी ने ज्ञान ही भक्ति बताया।
किसीने  प्रेम को ही भक्ति  बताया।
 किसीने कहा -गरीबी की हँसी  में  हैं भगवान।
परोपकार ,दान धर्म  ,यज्ञ -हवन द्वारा
ईश्वर के अनुग्रह पाने का मार्ग बताया।
आकार -निराकार स्वरुप भगवान।
नवग्रहों में भगवान।
प्रकाश ही भगवान।
 ऐसे  भगवान के मार्ग-दर्शक
मनुष्य को  दुविधा  में डालने
आगे आचार्यों ने तर्क युक्त
सन्देश ही देकर
मानव -मानव में ऐक्य भाव
इंसानियत  का सही मार्ग दिखाया।
पूरब की दिशा में ईश्वर कहा तो
दुसरे ने बताया  पश्चिम।
इत्र-तत्र -सर्वत्र विद्यमान ईश्वर  के
मार्ग दर्शक विज्ञान की तरह
एक निश्चित रूप देने में असमर्थ ,अज्ञान ही रहे.
सब को नचानेवाले ईश्वर ,
राजा के पद दिया तो
अहंकार भी दे दिया।
खुद राम के अवतार में राम
अपने   शत्रु  को पहचानने
अपने अधिकार जमाने
अश्वमेध यज्ञ किया तो
जिन्दा पत्नी के रहते सोने की सीता बनायी।
यह तो  मानव के चंचल मन में
नाना प्रकार के विचार ,शक ,तर्क-वितर्क।
सूक्ष्मता से विचार करें तो
राम का आदर्श  अनपढ़ धोबी द्वारा
दिल्लगी  का  कारण बना.
राम कहानी सुनाना का मतलब ही
रोना और संकट पूर्ण दशा का जिक्र करना हो गया.
रामायण कहानी अधूरी रह गयी.
राम के पुत्रों को क्या हुआ ?
इतिहास ने नहीं बताया।
कृष्णावतार की कहानी सुनाकर
गलत मार्ग पर जाने के उदहारण ज्यादा है.
धर्म की विजय कदम -कदम पर
अधर्म के षडयंत्र  द्वारा।
लौकिक कर्म में ईश्वर ने अमुक व्यक्ति के द्वारा
विश्व कल्याण विश्व को स्वर्ग तुल्य बनवा रहा हैं.
 अब सोचिये -
 व्यक्ति -व्यक्ति  में
आकार भेद ,रंग भेद ,बुद्धि भेद ,
अमीर -गरीब ,रोग -नीरोग ,
जन्म-रोग ,असाध्य रोग ,साध्य रोग ,
गर्भच्छेद ,शिशु मरण ,
मृत्यु के लिए निश्चित उम्र किसीने न बताया।
यों   ही कई बातें मानव के समझ के  बाहर।
   भगवान एक हैं।
 सर्व शक्तिमान।
सभी जीवों में  मनुष्य को ज्ञान दिया।
वह ज्ञानी यहाँ  तक कहने में समर्थ हो गया.
अपने अनुयाइयों की संख्या बढ़ाने की शक्ति मिली।
वह ज्ञान शक्ति अद्वैत भावना -अहम् ब्रह्मास्मी।

 आगे विचार कीजिये -अहम् ब्रह्मास्मि  ,
क्या मनुष्य सर्वज्ञानी हैं ?
तब तो एक चांडाल के द्वारा मनुष्यता निभाने की अनुभूति मिली।
मंडनमिश्र के साथ के तर्क में
कामकला  जानने  के लिए
 मृत्यु राजा के शरीर  में आत्मा गयी.
 तभी जीत सके.
तब आत्मा-परमात्मा कैसे एक ?
फिर द्वैत्व भाव।
आत्मा- परमात्मा अलग।
सब बन सकते हैं भक्त।
सब मिल सकते हैं परमात्मा से।
ॐ  हरी नारायणा मन्त्र।

  क्या किसीने ईश्वर का सही रूप दिया।
मुहम्मद  नबी  ने अल्ला का सन्देश दिया।
पर  अनुयायी ऐसे निकले दिल उदार नहीं;
अन्यों को सताने आतंकवादी  अल्ला के नाम को
बदनाम करने में लगे हैं ; उनके कुरआन के सिवा
लौकिक राजा,देश ,राष्ट्रगीत किसीका आदर करने तैयार नहीं।
अमीरों के देश ,पर न चैन। न संतोष।
आतंक कब कौन सा आतंकवादी बम फेंकेगा।बन्दूक चलाएगा।
 फिर ईसा मसीह ने प्यार ,सेवा, भ्रातृत्व का सन्देश दिया।
ये  अपने गुरु के संदेश के प्रचार के लिए पहले
दुनिया की भाषाएँ सीखी;
 दीन -दुखियों की सेवा  में  लगे.
बाइबिल का अनुवाद किया।
हर देश की मातृभाषा में भाषण दिया।
 पर किसीने  हमारे देश का सन्देश
वासुदेव कुटुम्बकम ,
सर्वेजना  सुखिनो भवन्तु।
पर कहीं भी मानव प्रेम ,एकता ,
मनुष्यता के लक्षण दीख नहीं पड़ते।






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