Wednesday, October 17, 2018

अमीरी गरीबी

आज उठा जल्दी ही.
1बजे सबेरे.
बादलों के गर्जन, बिजली,
जागा तो नींद नदारद.
निंद्रादेवी रूठकर  कहीं
फुटपाथ वासी को सुलाने चली.
वर्षा ,बादल का गड गड
कुत्तों का भूँकना, मक्खियों का भिन्नाना
किसी की चिंता नहीं.
मेरे का बदबू उसके
सूखी मछलियों का बदबू
जो भी हो उसकी नींद टूटा ही नहीं.
यह ईश्वर की लीला जानना  मुश्किल.
उसको न अपने व्यापार  बनाने की चिंता.
बनाने की चिंता, आयकर की चिंता,
न पेट्रोल  या महँगाई की चिंता.
बाल बच्चों को
 अमीरी अच्छी पाठशाला में दाखिल की चिंता.
पाँच नक्षत्र  होटल स्वादिष्ट भोजन
पेय महँगा पीना,
देश विदेश घूमना
चिंताहीन वह,
उसका आनंद,
उसका परिश्रम
ही आराम प्रदान.
बगैर उसके अपमान सहकर
मेहनत के,
अमीरों का सोना दुश्वार.





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