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Friday, October 5, 2018

भगवान का अनुग्रह

मनुष्य का जन्म
रुदन और हँसी में
नालायक रूप में
तीन किलो के वजन में
 मनुष्य का यह रूप
 कर्तव्य निभाने के लिए
अपने आसपास के दिन
दुखियों की
सेवा के लिए,
समाज के उत्थान  के लिए.
राष्ट्र  की सेवा केलिए.
न हुंडी में डालकर
लुटाना के लिए.
वह धन, वह सोना, वह हीरा
वह चाँदी, वह पपंचलौह
नकली  बनकर.
मंदिरों में.
असली
राजनीतिज्ञ
नास्तिक अधिकारी
लुटेरे, स्वार्थ विदेशी
गजनी, गोरी जैसे
विधर्मी  लूटने के लिए.
सेचिए नंगे बदन से
जन्मे लोग, धन कमाकर
मंदिर के तहखाने में
गाडकर लट्ठों को देने नहीं,
सोचिए दीन दुखी गरीबों को
अपने नाते रिश्तों को
देने के लिए,
प्रतिभा शाली  छात्रों  को
पढाने के लिए.
तभी भगवान का अनुग्रह मिलेगा.
हीरे का मुकुट, सोने का आभूषण  देकर
फिर नकली बनाने और लूटने नहीं.

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