Tuesday, October 2, 2018

यही सनातन धर्म की बड़ी विशेषता है.

आज मेरे मन में उदित विचार
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यही सनातन धर्म की बड़ी विशेषता है.
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हर कोई धन के पीछे पागल है.
साधू -संत -भिखारी -भिक्षुक
दूसरों के सामने हाथ पसारता है.
कमसे कम  भोजन के लिए.
निराहार रहना संभव है तो
वे यह हाथ पसारने का कष्ट भी न उठाएँगे।
भीख माँगना एक धंधा आलसियों के लिए.
भीख देना उदारता कुछ लोगों के लिए.
दान या भीख देनेवाले कितने किस्म के हैं ?
पता नहीं !
इस पर विचार किया तो दया या करुणावश
देनेवाले कितने प्रतिशत होंगे?
पापी पुण्य कमाने भीख या दान देता हैं.
अच्छे अच्छे कलाकार  भी अपनी कला के लिए
पैसे नहीं  माँगते।
उनके जीवन के शुरुआत में
उनकी कला से मुग्ध होकर
उदार दिलवाले देने लगते हैं.
कुछ लोग मन में
उनकी कला की तारीफ करते  हैं.
आनंद उठाते हैं ,पर देने का मन नहीं रहता।
नामी कलाकार तो कमाने
उनके जैसे अन्य क्षमतावालों को
आगे बढ़ने से रोकना अपना धर्म मानते हैं.
अर्जुन केवल अर्जुन तीर चलाने में
विशिष्ट रहें -यह एक उद्देश्य गुरु और
अर्जुन के हितैषियों में रहे तो
शिष्ट ,गुरुभक्त ,नाम रटकर अभ्यास करते -करते
निपुण बने एकलव्य का अंगूठा माँगना
कितना बड़ा द्रोह।
हिन्दू धर्म ऐसे एक शिक्षित वर्ग को
उच्च जाति   वर्ग  में बाँटकर
अन्य वर्ग को आगे बढ़ने न दिया।
परिणाम आज आरक्षण नीति   का फल भोगना
उच्च वर्ग के लिए अभिशाप बन गया.
अन्य धर्म में कई शाखाएँ ,उपशाखाएँ ,नफरत
भिन्न भाव होने पर भी उनके धर्म के विरुद्ध कदम
उठाने पर उसके विरुध्द  एक होकर आवाज उठती है,
पर हिंदू धर्म के अपमान होने पर आ सेतु हिमाचल तक
एक ही आवाज नहीं उठती। क्यों?
दक्षिण में भगवान को चप्पल से मारा तो न उसके विरुद्ध
एक बड़ी डराने की शक्ति न आगे बड़ी.
जनेऊ ब्राह्मण को काटते देख दूसरे  हिन्दू भाई
ब्राह्मण के अवहेलना देख हँसते ही रहे.
चोटी  काटते देख किसी अन्य जाति  के हिन्दू रोकने न आगे बढ़ा.
मंदिर के सामने ईश्वर विरुद्ध नास्तिक प्रचारकी
शिलाओं को स्थापित करने को न रोका।
क्यों ?
खुद ब्राह्मण भी यही कहते -उनसे दूर रहना है.
दुष्टों से दूर रहना हैं.
यह तो रामायण ,महाभारत के समय से हैं.
असुरों ने यज्ञों में विघ्न डाले।
भगवान ने वर दिया तो खुद भगवान को गुलाम बनाकर
खुद भगवान की घोषणा करने लगे.
अहम् ब्रह्मास्मी के सिद्धांत के कारण हर कोई अपनी मिली शक्ति से खुद को शिव। विष्णु हनुमान ,राम ,कृष्ण  घोषित करके
आश्रमों की स्थापना करते हैं.
अपने अपने आश्रम में अपने अपने अनुयायियों  की संख्या बढ़ाकर
धन जोड़ने में लगे हैं ,एना दान ,यज्ञ -हबन -मन्त्र
धीरे धीरे उनके भक्तों में अमीर वर्ग आदरणीय ,मध्यवर्ग आदरणीय ,
गरीब वर्ग केवल अन्नदान ग्रहण करने।
ऐसे आश्रम में धीरे धीरे गरीबों का ,मध्य वर्ग का प्रवेश अपने आप घट
जाता हैं.
मंदिरों में यात्रियों की भीड़ तो बढ़ती हैं ,पर
जितनी भीड़ ,उतना भ्रष्टाचार, धोखा ,व्यापार व्यावसायिक केंद्र।
श्रद्धालु भक्तों के स्वर्ण दान नकली स्वर्ण में या बिलकुल नदारद।
भक्ति यात्रा आजकल उल्लास यात्रा हैं ,भक्त सोने के लिए
ठहरने के लिए ,खाने के लिए महीनों पहले ही प्रबंध कर  लेता है.
घंटो कतार  पर खड़े होकर एक मिनट मूर्ती को देखकर या बिना देखे
बाहर आ जाता हैं.
मंदिर के बाहर बाज़ार घंटों घूमता हैं।
भगवान का नाम लेने ,आवाज देने शर्मिंदा भक्त।
  ईसाई ,मुसलमान अपने पादरी या  मौलवी का अपमान हिंदुओं की तुलना में
बहुत कम हैं. हिन्दू अपने पुजारी का कितना अपमान करता हैं।
कई पुजारियों को पेट भर खाना भी नहीं मिलता।
मंदिरों में  बाह्याडम्बर अमीरी दिखावा ज्यादा हैं.
जब तक ईश्वर के दर्शन में समानता नहीं होती ,तब तक
हिंदुओं का महासाराज्य स्थापित होना दिवा सपना रहेगा।
हिन्दुओं में एकता ज़रूरी हैं.
हिन्दू मुसलमान या ईसाई बनकर अपने परिवर्तित धर्म  पर
अटल आस्था रखता है ,अपनी मेरी की मूर्ति को एक अभिनेत्री को देख एक होकर
उस चित्र को हटा देता है ,पर हिन्दू अभेनेता या अभिनेत्री को ईश्वर के
अलंकार में देखकर ईश्वर ही मानता है।
इसलिए हिन्दुओं में ही भिन्न विचार-सोच एकता को दृढ़ न होने देती।
सनातन धर्म महासागर में हर कोई अपने मनमाना प्रार्थना कर सकता है.
एक ईश्वरीय शक्ति हिन्दू धर्म के नाम से सनातन हिन्दू धर्म की रक्षा करती हैं।
यही सनातन धर्म की बड़ी विशेषता है.





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