Wednesday, October 24, 2018

बन गयी आदर्श प्रेमिका।

सब को विधाता न
बनाता भाग्यवान।
अंधे जन्म लेते
अमीर के यहाँ।
कवि जन्म लेता
दरिद्र के यहाँ।
अनपढ़ बनता आचार्य ,
स्नातक स्नातकोत्तर बनता शिष्य।
कहाँ से बुद्धि मिली ?
न जानता खुद।
गायक बनता अपने आप।
संगीत विद्वान रोज़ सिखाता
गधे की आवाज़ ही आती.
धनी खा नहीं सकता।
निर्धनी को खाना नहीं मिलता।
क्या करें ?
सबहीं नचावत राम गोसाई।
सिद्धार्थ राजकुमार ,
भिक्षुक बन गया विश्व वंद्य।
राजकुमार ही रहता तो नाम
सीमित रहता।

कबीर ने लिखा - गोरस गली गली बिकै।
भक्ता राजकुमारी मीरा
कितनी यातना सही.

पराई पत्नी मुम्ताज
भारतीय होती तो
मर जाती , पर मुमताज
संगमरमर के ताज महल में
बन गयी आदर्श प्रेमिका।

No comments:

Post a Comment