भाग्यवान और भगवान
भगवान संसार का है बागवान।
वह बागवान के बाग अद्भुत।
कंटीले पौधे सुगन्धित कुसुम।
प्राण लेवा विषैले पौधे
प्राण रक्षक रोग निवारण की
जड़ी बूटियाँ ,खट्टे-मिट्ठे फल.
कडुवी पत्ते -फल उसे लेने नहीं तैयार।
वही रोग हरनेवाला।
अब कडुवी औषधियों को
मीठी आवरण की गोलियां
सद्यः फल निवारण ,अन्य रोगों के मूल.
गुरु वचन को भी अब मधुर बोली में
नतीजा न अनुशासन ,न गुरु का आदर.
गुरु अध्यापक के नाम से
गुरु गिरिवर से गिरपडा।
परिणाम छात्र हत्यारा बन रहा है.
अध्यापक कामांधकार ;
पवित्र रिश्ता हो रहा हैं अश्लील रिश्ता।
जमाना बदल गया;
विदेशों ने विषैले विचारों के रक्त
संचरित कर क़ानून पढ़ाकर चले गए.
परपुरुष -पारा स्त्री सम्बन्ध को
न्याय मान हक़ अदालत ने दे दिया।
तलाक का दरवाजा खुला पड़ा है.
युवक भयभीत हैं ,
युवतियाँ भयभीत है
क्या होगा जग शांति।
जब न शांति परिवार में।
आज मेरे मन में उठे विचार।
स्वयंचिन्तक -स्वरचित -यस.अनंतकृष्णन।
भगवान संसार का है बागवान।
वह बागवान के बाग अद्भुत।
कंटीले पौधे सुगन्धित कुसुम।
प्राण लेवा विषैले पौधे
प्राण रक्षक रोग निवारण की
जड़ी बूटियाँ ,खट्टे-मिट्ठे फल.
कडुवी पत्ते -फल उसे लेने नहीं तैयार।
वही रोग हरनेवाला।
अब कडुवी औषधियों को
मीठी आवरण की गोलियां
सद्यः फल निवारण ,अन्य रोगों के मूल.
गुरु वचन को भी अब मधुर बोली में
नतीजा न अनुशासन ,न गुरु का आदर.
गुरु अध्यापक के नाम से
गुरु गिरिवर से गिरपडा।
परिणाम छात्र हत्यारा बन रहा है.
अध्यापक कामांधकार ;
पवित्र रिश्ता हो रहा हैं अश्लील रिश्ता।
जमाना बदल गया;
विदेशों ने विषैले विचारों के रक्त
संचरित कर क़ानून पढ़ाकर चले गए.
परपुरुष -पारा स्त्री सम्बन्ध को
न्याय मान हक़ अदालत ने दे दिया।
तलाक का दरवाजा खुला पड़ा है.
युवक भयभीत हैं ,
युवतियाँ भयभीत है
क्या होगा जग शांति।
जब न शांति परिवार में।
आज मेरे मन में उठे विचार।
स्वयंचिन्तक -स्वरचित -यस.अनंतकृष्णन।
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