Wednesday, October 24, 2018

करते गहरे घाव

मानी है मित्रता ,
कुछ लिखने का हौसला दिया है
मेरी शैली अपनी ,
न रूढ़िगत।
न छंद न लय।
न रस ,न अलंकार
न यगण मगण तगण की चिंता।
ऐसी चिंता में लग जाऊँ तो
न अभिव्यक्ति कला व्यापक विस्तार।
दोहा से अकविता तक न विकास।
परम्पराएँ हैं बदलती ,
परिवर्तन ही विकास।
पैदल चले आदमी
पैदल ही चलूँगा तो वह पागल।
दिमागी हिसाबी कालकुलेटर न करेगा तो
संगणक का उपयोग न करेगा तो
हौसला फरार।
ज़रा क्षमा करना,
भाव प्रधान बन गया संसार।
you तीन अक्षर u एक अक्षर युवक चाहता।
ऐ एल यू ही लिखता।
अणु में सागर भरना
लेखकों का काम.
वन्देमातरम एक शब्द
जय जवान जय जवान एक शब्द
कितना काम ,कितना जोश ,
स्वच्छ भारत आजादी के सत्तर साल बाद.
न रोका किसी ने सड़क पर थूकने को।
क्रांति एक शब्द में
करो या मरो।
करो पहले ,कहो बाद।
मन चंगा तो कटौती गंगा।
कहने में छोटे लगे ,
करते गहरे घाव ,

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