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Sunday, October 28, 2018

स्वतंत्र लेखन

स्वतंत्र लेखन

स्वतंत्र चिंतन चाहिए देश में 
सच्चाई को समझना चाहिए। 
सही अधिकार :
विचार प्रकट करने का
 अधिकार मिला है ;

ख़ान को गॉंधी कहे तो 
कहने का अधिकार। 
पर मानकर चलने का अधिकार 
खोकर मान बैठे हम.
सिंधु को हिन्दू कहा तो 
हमारे सनातन धर्म सागर को 
हिंदू शब्द से तंग गली बना दिया।
सनातन धर्म सागर ,
भले -बुरे ,गंध -दुर्गन्ध अपनाकर 
उठाकर लहरें न होता स्थिर।
ईश्वर वंदना लोक गीत में 
उच्च वर्ग की शिष्टित भाषा 
देव भाषा देवनागरी लिपि की भाषा।
अपने अपने कर्तव्य खूब निभाते,
यह ज्ञान भूमि में पला 
लोक-नृत्य,लोक कला,
पर हम अपने को भूल ,
विदेशी माया में आज भी 
अपने को भूल अंधानुकरण कर रहे हैं। 
स्वतंत्र लेखन कैसे ?
ज्ञान की बातें लिखूं ,
वह भी राजनीती;
सोचने की बात लिखूँ ,
वह भी राजनीती। 
आकार -निराकार परब्रह्म कहूँ ,
वह भी राजनीती। 
स्वतंत्र लेखन क्या लिखूँ ?

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