आज के विचार जो मन में उठे
वह है कर्तव्य निभाना।
इस विचार मन में आते ही
कर्म करो ,फल भगवान की देन.
दूर रहने पर भी हमें
अपने कर्तव्य निभाने
भगवान के द्वारा मनुष्य से प्रेरित बुलाआ।
क्यों मन में चंचल ?
अब भी मुझे पूर्ण ज्ञान न मिला।
न देखो इर्द गिर्द ,न सुनो इर्द गिर्द
नाम लो भगवान का ,
मिले कर्तव्य निभाओ।
हम नहीं सुख निर्माता।
हम नहीं दुःख निर्माता।
हम नहीं स्वस्थ तन निर्माता।
हम नहीं बाद कर्म करता।
हम नाहीब सद कर्म करता।
हमारा जन्म किसी उद्देश्य से हुआ.
हम नहीं जानते उद्देश्य क्या है ?
हम खुद लक्ष्य के निर्माण करते जाते।
लक्ष्य के अवरोध में कितनी माया?
कितनी गर्मी-कितनी छाया।
हम तो लट्टू ,घुमानेवाला सर्वेश्वर।
करो कर्तव्य,घोड़े के नकेल पहन चलो.
होगा तेरा लक्ष्य सफल.
आज स्वरचित ---by -s .Ananda krishnan
वह है कर्तव्य निभाना।
इस विचार मन में आते ही
कर्म करो ,फल भगवान की देन.
दूर रहने पर भी हमें
अपने कर्तव्य निभाने
भगवान के द्वारा मनुष्य से प्रेरित बुलाआ।
क्यों मन में चंचल ?
अब भी मुझे पूर्ण ज्ञान न मिला।
न देखो इर्द गिर्द ,न सुनो इर्द गिर्द
नाम लो भगवान का ,
मिले कर्तव्य निभाओ।
हम नहीं सुख निर्माता।
हम नहीं दुःख निर्माता।
हम नहीं स्वस्थ तन निर्माता।
हम नहीं बाद कर्म करता।
हम नाहीब सद कर्म करता।
हमारा जन्म किसी उद्देश्य से हुआ.
हम नहीं जानते उद्देश्य क्या है ?
हम खुद लक्ष्य के निर्माण करते जाते।
लक्ष्य के अवरोध में कितनी माया?
कितनी गर्मी-कितनी छाया।
हम तो लट्टू ,घुमानेवाला सर्वेश्वर।
करो कर्तव्य,घोड़े के नकेल पहन चलो.
होगा तेरा लक्ष्य सफल.
आज स्वरचित ---by -s .Ananda krishnan
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