Sunday, June 10, 2012

arddhaanginiअर्द्धांगिनी---3

तिरुवल्लुवर अपने कुरल में अपने 41,42,47,50 के कुरलों  में
पुरुषों को ही उल्लेख किया है।उनमें क्रमशः यों ही



उल्लेख किया गया है----गृहस्थ वही,मर चुके लोगों को भी गृहस्थ,

स्वभाव से गृहस्थ ,जग में नाम से जीनेवाला.

.  इनमें   स्त्री शब्द का स्थान नहीं है।

43.50 के कुरल  में भी गृह शब्द का उल्लेख नहीं है।


गृहस्थ जीवन में पत्नी शब्द का प्रयोग नहीं है,
लेकिन उस अध्याय भर में पत्नी की ही प्रधानता है।
पत्नी नहीं है तो पुरुष के लिए सुख का जीवन नहीं है;

कुरल में कम शब्दों में तीन भाग में
युग-युगांतर  के जीवन का मार्ग है।
अतः एक कवि  ने उस तिरुक्कुरल को  हाथ बराबर  का
आकाश दीप  बताया  है।
यह  आकाश दीप पत्नी की विशेषता पर रोशनी फैला रहा है।


जीवन -कल्याण अध्याय सीधे पति के सर का मुकुट है। gee.yu.pop---"the goodness of help to domestic life"
कहकर  अनुवाद किया है। चंद  शब्दों में सागर की व्याख्या  कुरल में है।
पहले कुरल में ही पत्नी की विशेषता और श्रेष्ठता का जिक्र किया है।

पत्नी एक गृह के विकास में साथ देनेवाली है।
जीवन सहायिका है।गृह -कल्याण की साथिनी  है।
गृहस्थाश्रम  के गुण पत्नी  में  है।
आय के अनुसार परिवार निर्वाह करनेवाली है पत्नी।
गृहस्थ-रथ सही ढंग  से चलाना  अर्द्धांगिनी पर निर्भर है।
आय के अनुकूल परिवार न चलने की बीबी से उलटा -प्रभाव पडेगा।

नरक तुल्य जीवन अधिक खर्च के कारण होता है।
THE WIFE WHO LIVES A GOOD LIFE AND WORKS WITH HER HUSBAND FOR THE COMMON GOOD IS RELIABLE SUPPORT

.लोगों को जितने ही प्रकार  के  बल मिलें,
 फिर भी बिना पत्नी के पुरुष निर्बल ही है।
सच्चा बल अर्द्धांगिनी से मिलता है।

पुरुष के अधिकार सुचाल और गुणवती पत्नी के बल पर ही निखर उठता है।
यही एक गृह की महत्ता है।यह महत्ता अप्राप्त जीवन महत्वहीन हो जाएगा।इसे" HOUSEHOLD EXCELLENCE"  के  शब्दों  में  पोप  ने  अनुवाद  किया है।

आर्थिक सम्पन्नता सैक्कडों   साल  साथ देगा।
 लेकिन वह स्वर्ण और सामग्रियां  गुणवती कुटुंब संचालिका

पत्नी के सामने तुच्छ ही है।

G.U.POPE----IF HOUSEHOLD EXCELLENCE BE WANTING IN THE LIFE HOWEVER WITH SPLENDOUR LIVED ALL WORTHLESS IN THE LIFE.
जो बनता है,वह स्त्री के कारण।
जो बिगड़ता है स्त्री के कारण।
स्त्री नरक तुल्य है;स्त्री स्वर्ग तुलया है।


एक के जीवन में कपड़ा नहीं है;
खाना नहीं है :
सोने के लिए घर नहीं है;
ये तो बड़ी कमी नहीं है।
ये सब न होने पर भी योग्य
गुणवती पत्नी के होने पर अति आनंद मिलेगा।
एक मनुष्य के अधिकार में राज्य है;
तीर-कमान है;सेना है;पर्वत बराबर की संपत्ति है;
लेकिन पत्नी  डाइन  है तो उसका जीवन नरक-तुल्य हो जाएगा।
WHILE THERE IS NOTHING GREATER THAN LIVING WITH THE WIFE WHO IS A HOSPITABLE PERSON THERE IS NOTHING WORSE THAN LIVING WITH THE ONE WHO IS NOT.

एक पत्नी को स्वार्थ -बंदर-सा,पिशाच -सा रहना या होना नहीं चाहिए।

गुणहीन होने पर जीवन में एक अंगुल भी आगे न बढ़ सकते है।

एक पत्नी के गुणवती होने का अर्थ है ,
वह मायके और ससुराल के नाते -रिश्तों को
 बराबर समझनेवाली हो।
उसका मन सुविस्तार होना चाहिए।
जैसे अभ्यस्त सेनापति कामयाब ही कामयाब प्राप्त करता है,
वैसे ही गुणवती स्त्री सफलता प्राप्त करती है।

जैसे सुशासन करनेवाला राजा
,देश को आगे बढाता है,
वैसे ही साद-साध्वी पत्नी परिवार को सफल बनाती है।
नाते-रिश्तो की संख्या बढाती है।----नालाडियार।

वल्लुवर इसे अर्द्धन्गुनी के गुण-महत्ता कहते हैं।
कबिलर नामक कवि  अपने दुःख -चालीसा में कहते हैं---
साथ न देनेवाली  पत्नी से दुःख ही बचेगा।.
पूथान्चेन्द्रनार नामक कवि  सुख -चालीसा में  कहते है   कि
 पति-पत्नी के दिल में एकता होने पर  और ,
दिल मिलने पर ही गृहस्थ-जीवन सुख से संपूर्ण होगा।.






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