Friday, June 15, 2012

अर्द्धांगिनी 14



परोपकार करने का   विचार   मन में  होना चाहिए।
वह विचार पवित्र होना चाहिए।
वल्लुवर का यह विचार क्रन्तिपूर्ण विचार है।
मनुष्य का विचार ही कर्म करने के लिए स्त्रोत होता है।
वल्लुवर का कहना है --परोपकार  से हानि होगी तो उसे सहर्ष अपनाना चाहिए।
अपने को बेचकर भी परोपकार करके कष्ट और नष्ट उठाना श्रेष्ठ गुण है।


कुरल:-

ओप्पुराविनाल  वरुम केडु  इनिं ओरूवन वित्रुक्कोटक्क  तुडैततु .


पुलवर कुलन्दै  कहते है --
परोपकार का चिंतन  कार्य -रूप में बदल जाए तो अमीर-गरीब का भेद -भाव न होगा।

पुरनानूरू में पति-पत्नी के दान और परोपकार की हांनि  पर  एक कविता है।

दोनों परोपकार में लगकर गरीब हो गए।
उनको भूखा रहना पड़ा।
झोम्पडी  में रहना पडा।
उस दानी का नाम आय्वल्लाल था।
दान देते-देते उनको आर्थिक हानि हुई ।
पर पति-पत्नी दोनों  ने अपनी गरीबी के दुःख की परवाह न की।

दान देने के गुण,दान,स्वर्ण दान,जो कुछ मांगे ,उसे देनेवाला कल्पवृक्ष  होते हैं।


दान देने के कर्म को पति -पत्नी दोनों अलग अलग कर सकते हैं।
दान का मतलब है धनी   निर्धनी को देना।
माँगनेवाले को देना।
दान देने में  अपने आप देना,
जिसको नहीं है,
उसको देना,
माँगनेवाले को देना आदि
तीन प्रकार के दान होते है।

वल्लुवर ने  कहा है--
दान का मतलब है गरीबों को देना;
उनको देना  जो वापस देने में असमर्थ हो।
लेन -देन  की बात अलग है।
नमक देकर चावल लेना ;यह तो परिवर्तन है।

तिरुवल्लुवर ने कहा--भूख के कारण ही मनुष्य मान-अपमान सहता है।
अतः भूखे  की  भूख  मिटाना और दूसरों को खिलाकर भूख  सहना
 परोपकारी का महत्व है।
भूख मिटाने के लिए जो दान देते है,वही उत्तमोत्तम दान है।


कुरल: आट रुवाराट्रल   पसियाट रल  अप्पसियई   माट्रुवाराट रलिन  पिन।


चोल राजा कुलमुट रत्तू  तुन्जिय किल्लिवलवन  ने
दूसरे अन्न-दानी राजा की प्रशंसा में कहा है--

उस राजा का गृह  भूख रोग का दवाखाना है.

दानी को कहाँ से पैसे आयेंगे?
वह अपने रुपयों को कहाँ जमाकर रखा है?
राष्ट्रीय बैंक में या सहकारी बैंक में .या सुविस बैंक में।
 आदर्श दानी का बैंक दान देना ही है।
वही गुण सुरक्षित जमा स्थान है।
दान देते-देते वह गरीब नहीं होगा।व उच्च गुण उसको बड़ा बनाएगा।


वल्लुवर ने कहा --दान देने के लिए जान भी देना चाहिए।

मनुष्य प्राण रक्षा के लिए जीता है।
दानी के सुयश के लिए प्राण तजना उचित कहकर
वल्लुवर ने दान के गुण को ऊंचा स्थान दिया है।

कुरल:- अटरार   अली  पसी   तीर्त्तल  अह्तोरुवन  पत्रान पारुल वैप्पुली।(दान बैंक)

कुरल: सातालिन इन्नात तिल्ले  इनित्तूउम   इतल इमैयाक्कडै .

कवयित्री अव्वैयार ने कहा -
-गरीबी अति कष्ट दायक है।
जवानी में दरिद्रता अति भयंकर कष्टप्रद है।
गरीबी हटाने जान देना उचित है।
nothing is more unpleasant than death; yet even that is pleasant were charity cannot be exceed.
















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