मंत्री=अमात्य=सामंत
प्रजातंत्र शासन में एक मंत्री का मुख्य भाग है।
उनकी सेवा सर्वोपरी है।
राजतंत्र में भी मंत्री पद अत्यंत आवश्यक ही रहा।
तिरुवल्लुवर ने मंत्री के लक्षण और विशेषताओं पर कुरल लिखे हैं।
आजकल की परिस्थिति में उनको समझाना अत्यंत जरूरी है।
मंत्री शब्द के अर्थ कोष में यों दिए गए हैं:-
मिनिस्टर,councellor,one who fortells events,jupiter,the planet mercuri,commander-in-chief
मंत्री,सलाहकार,दूरदर्शी,शुक्र,बृहस्पति,कुबेर,बुध,सेनापति आदि।
तिरुवल्लुवर अपने कुरल में मंत्री के कर्त्तव्य समझाने निम्न नाम के शीर्षक पर लिखे है:
मंत्री, वाक्-पटुता ,सभा का पहचान,दरबार में निर्भयत्व,कार्य-कुशलता,कार्य-कौशल,दूत ,राजा का संघ जानना।
उनके कुरळ को पढ़ते समय ऐसा ही लगता है वे खुद उस पद पर सुशोभित रहे होंगे।
प्रजातंत्र शासन में एक मंत्री का मुख्य भाग है।
उनकी सेवा सर्वोपरी है।
राजतंत्र में भी मंत्री पद अत्यंत आवश्यक ही रहा।
तिरुवल्लुवर ने मंत्री के लक्षण और विशेषताओं पर कुरल लिखे हैं।
आजकल की परिस्थिति में उनको समझाना अत्यंत जरूरी है।
मंत्री शब्द के अर्थ कोष में यों दिए गए हैं:-
मिनिस्टर,councellor,one who fortells events,jupiter,the planet mercuri,commander-in-chief
मंत्री,सलाहकार,दूरदर्शी,शुक्र,बृहस्पति,कुबेर,बुध,सेनापति आदि।
तिरुवल्लुवर अपने कुरल में मंत्री के कर्त्तव्य समझाने निम्न नाम के शीर्षक पर लिखे है:
मंत्री, वाक्-पटुता ,सभा का पहचान,दरबार में निर्भयत्व,कार्य-कुशलता,कार्य-कौशल,दूत ,राजा का संघ जानना।
उनके कुरळ को पढ़ते समय ऐसा ही लगता है वे खुद उस पद पर सुशोभित रहे होंगे।
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