Tuesday, June 12, 2012

अर्द्धांगिनी --8

 "  सीखने  की  चाह  रखनेवाले    बच्चे  को जन्म  ही   लेना असंभव है।
माता-पिता   की   ही  देखरेख  से और सही मार्ग के  दर्शन से
 बच्चा सीखने लगता है।
शिशु अपने छोटे हाथ से भात को  रौंदता है
माता-पिता उस क्रिया से अत्यंत  खुश होते  हैं।
 वे  उसे अमृत समझते हैं।
g.u.pope---THE RICE IN WHICH THE LITTLE HAND OF THEIR CHILDREN HAS DABBLED
WILL BE FAR SWEETER THAN AMBROSIA.
RATNAKUMAR----NOTHING TASTES MORE DELICIOUS TO PARENTS THAN THE UNFINISHED BOWL OF PORRIDGE LEFT BEHIND BY THEIR CHILDREN.

कुरल:     अमिलतिनितु   एन माट्टार ,  तम मक्कल  सिरुकई  अलाविय  कूळ .





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