Wednesday, June 20, 2012

5.mantriमंत्री=अमात्य=सामंत++++

नालडि यार  में कहा गया है ---जल में मोरे के पानी मिलने से पानी गन्दा  हो जाता है;दूध में अधिक  जल मिलाने  पर उसका स्वाद और शक्ति कम हो जाती है;वैसे  ही  नीच लोगों के सामने अच्छी बातें भी महत्वहीन हो जायेंगी।अतः नीचों के संघ में ऊंचे विचार प्रकट करना बेकार है।ऊंचे विचार कुल के अनुसार ही महत्वपूर्ण या महत्वहीन हो जाएगा।

नालडियार :-ऊरंगन  नीरुरवु  नीर  सेर्न्तक्काल   पेरुम    पिरिताकित  तीर्त्तामाम -ओरुम
                    कुलामाट्ची  यिल्लारुंग  कुन्रू   पोल निरपर   नालामात्ची नाल्लारैच  चार्न्तु।

वल्लुवर  कहते हैं ----भाषण-कर्ता  को पहले सभा को पहचानना है। उसके बाद अपने विचार प्रकट करने निर्भयता की जरूरत है।
कुरल:  कट्रारुट  कट्रा  रेनाप्पडुवर   कट्रार  मुन  कटर सेलच  चोल्लुवार।

एक कहावत है -- असावधानी  से  बोलना मृत्यु को बुलाना है।अर्थात बोलने में ज़रा असावधानी हो जाएँ तो  या गलत शब्द निकालें तो परिणाम जान का खतरा हो जाएगा।।इसे   कभी  भूलना नहीं चाहिए।
शिक्षित अपने भाषण द्वारा शिक्षित -समाज में नाम प्राप्त करना चाहिये।अर्थात शिक्षित उसको शिक्षित स्वीकार करना चाहिए।
THOSE  WHO CAN AGREEABLY SET FORTH THEIR ACQUIREMENTS BEFORE THE LEARNED WILL BE REGARDED AS THE MOST LEARNED AMONG THE LEARNED.

रणक्षेत्र  में अपने देश के लिए प्राण देनेवालों को वीर कहते हैं।ऐसे वीरों की संख्या अधिक होती हैं।लेकिन शिक्षितों की सभा में वीरता से अपने विचार प्रकट करने वाले बहुत कम ही होंगे।
वल्लुवर कहते हैं ---कायरों को तलवार से कोई सम्बन्ध नहीं हैं।सूक्ष्म-ज्ञानी जो भरी सभा में बोलने डरता हैं ,उनको ग्रंथों  के  ज्ञान  से कोई सम्बन्ध नहीं है।

कुरल:-पकै यकत्तुच  सावा रेलिय  ररिय  रवै  यकत तन्जातवर।


इसे रंग्मंच  की लड़ाई कहते  हैं।. -  A SWORD SERVES NO PURPOSE TO A COWARD JUST AS BOOKS TO A PERSON WHO IS UNABLE TO COMMUNICATE DUE TO STAGE.

वालोड़ें  वन कन्ना राल्लार्क्कू नूलोड़े  नुन्नवै   यंजू  पवर्क्कू।

No comments:

Post a Comment