Thursday, June 21, 2012

9.mantriमंत्री=अमात्य=सामंत++++

एक व्यक्ति के बारे में कहते हैं --उनके कर्म और वचन दोनों एक ही होंगे।इसका मतलब है --जो कहते हैं ,वहीं करते हैं; इसका दूसरा अर्थ भी है--इनके वचन जितना सुन्दर और विशेष है ,वैसे ही उनका कार्य लाभप्रद  होंगे।
कार्य --शुद्धता  अध्याय में  वल्लुवर कहते हैं ----मत्री पद पर जो बैठते हैं,उनके कार्यों में कोई कमी  नहीं होनी चाहिए। वे जो कुछ करते है,वे फायदेमंद ही होना चाहिए।धर्म-ग्रन्थ  और राजनीति  दोनों की दृष्टी  में मंत्री का कार्य  बेकसूर होने पर ही मंत्री उत्तम होंगे।

एक को सहायक के द्वारा  धन मिलेगा।अपने कर्म के द्वारा केवल धन ही नहीं,जो चाहें वे सब कुछ मिलेंगे।
अपनी सारी मांगें पूरी होने उत्तम कर्म की आवश्यकता है।

कुरल:  तुनै  नालामाक्कंग  तरूवुम  विनै नलम  वेंडिय वेल्लान्तरुम..

THE EFFICACY OF SUPPORT WILL YIELD WEALTH;BUT THE EFFICACY OF ACTION WILL YIELD ALL THAT DESIRED.
ऐसा काम कभी करना नहीं चाहिए,जिससे पीछे पछताना पड़ें।भूल से गलत काम कर दिया  तो  फिर कभी
गलत काम करना  ठीक नहीं है।

कुरल :  एन्रेंरिरंगुव  सेय्यरक  सेय्वानेल  मट्रनन   सेय्यामै  नन्रु.

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G.U.POPOE----DO NOT DO WRONG AGAINST YOUR CONSCIENCE,IF YOU HAVE DONE SO ONCE DONOT REPEAT IT.
वल्लुवर जो भी विचार प्रकट करें,उसे  सोपान पर सोपान रखकर  शिखर छूना  उनका सहज स्वभाव है।वे तो ज्ञान -पिता हैं। माता से बढ़कर कोई नहीं है।वे  माँ को केंद्र बनाकर अपने सिद्धांतको दृढ़ बनाते हैं।

माँ  भूखी है। गरीबी के कारण उनकी भूख मिटाने में असमर्थ हैं;फिर भी अपनी  माँ  की भूख मिटाने के लिए गलत काम करना नहीं चाहिए। निंदनीय  कार्य करना  नाम  को बदनाम  कर देगा।

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