शिलाप्पतिकारम तमिल का महा काव्य है।
उसका एक पात्र है कौन्दियडिकल.
उन्होंने नायिका कन्नकी के बारे में कहा है कि पतिव्रता देवी
कणणकि आग में तपी स्वर्ण - सा निखरती है।
ऐसी पतिव्रता देवी को मैं ने कहीं नहीं देखा है।
वह पतिव्रता से सज्जित सुन्दर नारी देवी है।
वह पात्र आदर्श पतिव्रता का प्रतिबिम्ब है।
अतः वह इतिहास में अमर पात्र है;
उसकी शिला प्रतिष्ठित है।
कोप्पेरुन्देवी और माधवी दोनों का जन्म वेश्य-कुल में हुआ है।
फिर भी दोनों पतिव्रता नारियाँ हैं।
कवि इलंगो ने उन तीनों पात्रों को आदर्श पतिव्रता पात्र कहकर उल्लेख किया है।
कवि ने कण णकी को वशिष्ट मुनि की पत्नी अरुन्ददी से तुलना की है।
सप्त-ऋषी मंडल में अरुन्दति नक्षत्र है।
वह अपने पतिव्रत-धर्म के बल पर तारा बन गयी।
मनिमेखलै भी शीतलै चात्तानर नामक कवि का काव्य है।
उस काव्य के नायक साधुवन की पत्नी आदिरै भी
पतिव्रता की सूची में स्थान पाती है।
पति व्रत नारी के कारण उसके पति को भी यश मिलता है।
जीवन में लाभ मिलता है।
पत्नी पतिव्रता होने पर ही एक गृह को यश मिलता है।
उसके पति का बड़प्पन पत्नी की पतिव्रत धर्म में है।
पति को दुश्मन के सामने धीर-वीर-गंभीर होकर खड़े रहने का बल,
पत्नी के पतिव्रतता के कारण मिलता है।
पतिव्रत पत्नी के कारण ही वह सिंह बनता है।जिनको पतिव्रत पत्नी नहीं मिलती ,उसके जीवन में बदनाम और दुःख ही बचेगा।
कुरल:-पुकल पुरिन्तिल्लिलोर्क्किल्ले यिकलवार मुन्नेरू पोर पेडू नडै .
THE MAN WHOSE WIFE SEEKS NOT THE PRAISE (OF CHASTITY)CANNOT WALK WITH LION-LIKE STATELY STEP ,BEFORE THESE WHO REVILE THEM.
नारी के पतिव्रत धर्म के कारण ही कई पति प्रसिद्ध हैं --
तमिल संघ -साहित्य में।
पुरानानूरू ग्रन्थ में
पतिव्रत-धर्म के बारे में कई उल्लेखनीय बातें मिलती हैं।
वलैयापती तमिल महाकाव्य में इसके विपरीत विचार भी मिलते हैं।
मछली पुराने पानी में जीती है;
फिर भी नए बाढ़ के आते ही उसकी ख़ुशी एकदम बढ़ जाती है।
वैसे ही कुछ महिलायें नए पुरुषों के मिलने पर चाहक बनते है।
हर बात में अपवाद होती है।
पल्ल मुतुनीर्प पलकिनुम , मीनिनम वेल्लम पुतियतु कानिन विरुम्बू रूवुम
कल्ल विल कोतैयर कामानोडु आयिनुम उल्लं पिरिताय उरुकलुम कोल नी।
उसका एक पात्र है कौन्दियडिकल.
उन्होंने नायिका कन्नकी के बारे में कहा है कि पतिव्रता देवी
कणणकि आग में तपी स्वर्ण - सा निखरती है।
ऐसी पतिव्रता देवी को मैं ने कहीं नहीं देखा है।
वह पतिव्रता से सज्जित सुन्दर नारी देवी है।
वह पात्र आदर्श पतिव्रता का प्रतिबिम्ब है।
अतः वह इतिहास में अमर पात्र है;
उसकी शिला प्रतिष्ठित है।
कोप्पेरुन्देवी और माधवी दोनों का जन्म वेश्य-कुल में हुआ है।
फिर भी दोनों पतिव्रता नारियाँ हैं।
कवि इलंगो ने उन तीनों पात्रों को आदर्श पतिव्रता पात्र कहकर उल्लेख किया है।
कवि ने कण णकी को वशिष्ट मुनि की पत्नी अरुन्ददी से तुलना की है।
सप्त-ऋषी मंडल में अरुन्दति नक्षत्र है।
वह अपने पतिव्रत-धर्म के बल पर तारा बन गयी।
मनिमेखलै भी शीतलै चात्तानर नामक कवि का काव्य है।
उस काव्य के नायक साधुवन की पत्नी आदिरै भी
पतिव्रता की सूची में स्थान पाती है।
पति व्रत नारी के कारण उसके पति को भी यश मिलता है।
जीवन में लाभ मिलता है।
पत्नी पतिव्रता होने पर ही एक गृह को यश मिलता है।
उसके पति का बड़प्पन पत्नी की पतिव्रत धर्म में है।
पति को दुश्मन के सामने धीर-वीर-गंभीर होकर खड़े रहने का बल,
पत्नी के पतिव्रतता के कारण मिलता है।
पतिव्रत पत्नी के कारण ही वह सिंह बनता है।जिनको पतिव्रत पत्नी नहीं मिलती ,उसके जीवन में बदनाम और दुःख ही बचेगा।
कुरल:-पुकल पुरिन्तिल्लिलोर्क्किल्ले यिकलवार मुन्नेरू पोर पेडू नडै .
THE MAN WHOSE WIFE SEEKS NOT THE PRAISE (OF CHASTITY)CANNOT WALK WITH LION-LIKE STATELY STEP ,BEFORE THESE WHO REVILE THEM.
नारी के पतिव्रत धर्म के कारण ही कई पति प्रसिद्ध हैं --
तमिल संघ -साहित्य में।
पुरानानूरू ग्रन्थ में
पतिव्रत-धर्म के बारे में कई उल्लेखनीय बातें मिलती हैं।
वलैयापती तमिल महाकाव्य में इसके विपरीत विचार भी मिलते हैं।
मछली पुराने पानी में जीती है;
फिर भी नए बाढ़ के आते ही उसकी ख़ुशी एकदम बढ़ जाती है।
वैसे ही कुछ महिलायें नए पुरुषों के मिलने पर चाहक बनते है।
हर बात में अपवाद होती है।
पल्ल मुतुनीर्प पलकिनुम , मीनिनम वेल्लम पुतियतु कानिन विरुम्बू रूवुम
कल्ल विल कोतैयर कामानोडु आयिनुम उल्लं पिरिताय उरुकलुम कोल नी।
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