Saturday, June 2, 2012

SAANRON-BADA AADMI.-को

संत वल्लुवर के आदर्श दूरदर्शी दृष्टी कोण को लोगों के सम्मुख
प्रचार करके उनके तिरुक्कुरल के चाहकों को बढाने का कार्य मधुरतम है|

.संत तिरुवल्लुवर ज्ञान-प्रभाकर हैं.

शिक्षित मनुष्य शिष्ट बनने  के लिए तिरुक्कुरल मार्ग -दर्शक है.

सान्रों तमिल शब्द का अर्थ है--

चतुर,बुद्धिमान,शिष्ट पुरुष,.एक कोष के अनुसार वीर,सूर्य,कवि भी सान्रों (CHANROR)
 का अर्थ है

.तिरिकटुकम में सान्रों का अर्थ महानों में महान कहा गया है;
 सान्रों   को  हिंदी  में उत्कृष्ट  आदमी   कह  सकते  हैं।

.इसका बड़प्पन का अर्थ भी है.
महानता काम-वासना में भी है
.नायक-नायिका के चिंतन,संभाषण ,व्यवहार,आदि में भी
साधुता दर्शाई गयी है.महानता 'काम'में भी है.

नालाडियार ने कहा है ---समृद्ध भूमि में धान बढ़ने के समान,
भद्र-कुल में महान उत्पन्न होंगे.
बुरे संग में मनुष्य को बदनाम होंगे.
आग-हवा आदि भूमि को नष्ट करेगा;

वैसे ही बुरी संगती  साधू-संतों को भी

 अपमान के चक्र में फंसा देगी.

सहन-शक्ति और संयम भी महान का अर्थ में आ जाते हैं.
मनककुड़वार ने कहा है महान धर्मपालक होते हैं.
संसार के सभी सद्गुण महानों में विद्यमान रहता है.
करल के वाचक या अनुयायी सद्गुणी होते हैं.

उनका ध्येय सद्विचार,सद्कर्म होते हैं.
दूध में जैसे घी है,वैसे ही धर्म,अर्थ,काम आदि हर मनुष्य में विद्यमान है.

अर्थ -अध्याय में महानता और काम अध्याय में श्रेष्ठता की व्याख्या मिलती है.

धर्म अध्याय में पूर्णिमा की चांदनी सी चमकनेवाली बातें हैं--
नागरिकता,मान-मर्यादा,बड़प्पन,साधता,शीलता,विनम्रता,नागरिकों का कर्त्तव्य आदि.

भीख मांगने के अपमान पर बहुत बातें आती हैं.

नीचता नामक अध्याय दुखी मन की अपूर्ण अभिलाषा पर आधारित है.

यह विष है.महानता अमृत है.
मनुष्य को भीख मांगना या दूसरों के पैर खडा रहना अपमान की बात है.
भीख मांगने का दर मनुष्य को महान बनाता है.
दूसरों से मांगने से मर्यादा नष्ट हो जाता है.

बिना मांगे दरिद्र जीवन    जीनेवाला ,मांगकर जीनेवाले सम्पन्न जीवन से
करोड़ों गुना श्रेष्ठ है.


******88ज़रा ध्यान दे यह अनुच्छेद  साधुता शीर्षक में है,यही पहला पृष्ठ है।)*******

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