Tuesday, June 19, 2012

4. मंत्री=अमात्य=सामंत

मंत्री के गुण चतुर   भाषण  में प्रकट होता है।
 वह जो कुछ कहना चाहता  है,ऐसा कहेगा,
जिसे  दूसरे ध्यान से सुने;सुनकर उसे पालन करें।
वह जितनी बातें जानता हैं,उन सब  की  याद रखेगा।
भरी सभा में बोलने के लिए डरेगा नहीं।
उसे  वाद-विवाद में  कोई भी  हरा नहीं सकता।
 सभा के अनुकूल बोलना और सद-व्यवहार करना सभी के लिए आवश्यक गुण है।
फिर भी एक देश के मंत्री केलिए अत्यंत  आवश्यक  है।

वल्लुवर  ने अपने कुरल में कहा है----सभा के अनुसार,सोच-समझकर  शोध करके बोलना चाहिए।
शब्द-ज्ञानी शब्द  -शक्ति और उनके प्रभाव जानकर ही बोलेंगे।

कुरल: "अवयारिंतु  आराय्न्तु  सोल्लुक  सोल्लिन  तोकै  यरिंत  तूय्मैयवर ".

शब्द  तो शुभ -शब्द ,व्याकरणिक शब्द ,सांकेतिक शब्द,संबद्धित शब्द  आदि किस्म के होते हैं।
उन शब्दों का श्रोताओं  पर सद-प्रभाव डालना चाहिए। 
 PEOPLE  WHO KNOW THE SUBJECT UNDERSTAND THE BACKROUND OF THE AUDIENCE CHOOSE THE MOST APPROPRIATE WORDS ARE GOOD SPEAKERS.

सज्जन  भरी सभा में सुवचन ही बोलेंगे।वे वचन दूसरों के मन पर सद -प्रभाव डालेंगे।शत्रु अच्छे विषयों को बोलने नहीं देंगे।बुरे विषय बोलने के लिए जोर डालेंगे।

कुरल:  पुल्लावैयुट  पोच्चान्तुम  सोल्लर्क   नल्लवैयुल    ननगु  सेलच  सोल्लुवार।

यदि भाषण -कर्ता  का भाषण सभा में विद्वत-पूर्ण हो,
सभा के अनुकूल हो, तो शिक्षित प्रोत्साहित होंगे।
यदि वक्ता बुरे विषय  सभा के प्रतिकूल बोलेगा,तो कोई नहीं  सुनेंगे।
कहावत है सांप  पहचानता है साँप  का पैर।
लोगों को मालूम है ,भाषण का प्रतिकूल।

तमिल  पलमोली :

"पुल मिक्कवरैप  पुलमै  तेरितल   पुलमिक्कवर्क्के   पुल्नाम--नलमिक्क"

पूम्पुनलूर  पोतुमक्कट  काकाते  पाम्बरियुम  पाम्बिं काल।

भाषण  सभा की परिस्थित के अनुकूल न हो तो उनका भाषण ऐसा है,
जैसे दूध को मोरे में उंडेलना।अर्थात उनका भाषण  बेकार हो जाएगा।

कुरल:-  अनगनत्तुलुक्क  वमिल   तट्रार  रंगनत्तार   अल्लार  मुरकोट्टी   कोलल .

ADDRESSING AN ASSEMBLY WHO IS NOT ON THE SAME WAVELENGTH IS ,LIKE THROWING GOOD FOOD ON DIRT AND THUS WASTING IT.

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