Monday, June 25, 2012

17.mantiriमंत्री+++

 जो दूत  का काम  करते हैं ,उनको अपनी जान को भी खतरा हो सकता है।

तमिल कवयित्री अव्वैयार  अपनी   जान  के  बिना परवाह किये , तोंडैमान  के  दूत  बनकर  गयी।


उन्होंने कहा --भले ही मेरे प्राण का खतरा हो ,फिर भी मैं अपने मत प्रकट करूंगी ही।

अव्वैयर जैसे ही दूतों को अपने राजा के हित के लिए जान भी छोड़ने सन्नद्ध होना चाहिए।

पहले  नौ अधिकार में जो भाव वल्लुवर ने प्रकट किया है,वे सब नदियाँ बनकर दसवें अधिकार में मिल जाते हैं।
वह अधिकार  है मंत्री और राजा का सम्बन्ध.

राजा  से  मिलकर  रहने का मतलब  है --राजा  के  साथ काम करना।
सरकार माने क्या है?  सरकार  का आरम्भ कब हुआ?

सोवियत संघ  के भूत-पूर्व  नेता  लेनिन के अनुसार सरकार का उदय तब होता है,जब समाज में वर्गीकरण

   होता  है।शोषक और शोषितों  की  संख्या  बढती है; अत्याचार बढ़ता  है।

सामाज  वर्गों में  बाँटने  के पहले सरकार नहीं थी।  समाज में वर्ग की स्थापना जड़ पकड़ ली तो सरकार भी जड़ पकड़ने  लगी।
सरकार  ऐसा एक यन्त्र है,जो एक् वर्ग की सुरक्षा केलिए दूसरे   वर्ग को अपने नियंत्रण में रखता है।राज-तंत्र एक व्यक्तिगत  अधिकार है।प्रजातंत्र शासित दल के   अधिकार में है।
एक ही व्यक्ति के अधिकार में जो शासन चलता है ,वह राजतन्त्र  है।
इस   राजतन्त्र में राजा के सहायक का  पद प्रमुख है।  राजा के  बाद , बड़े अधिकारी    मंत्री  है।.मंत्री को   अपने राजा से कैसे व्यवहार  करना चाहिये?
महाकवि  वल्लुवर  इसका मार्ग दर्शन करते हैं।वल्लुवर  मंत्री को सावधान करते हैं।बलवान राजा के अधीन
काम  करनेवाले  मंत्री  को राजा के साथ निकट  सम्बन्ध  न   रखकर  दूर  रहना चाहिए  जैसे सर्दी से बचने
आग के  पास बैठकर  दूरी  का निर्वाह करते हैं।

कुरल: अकला  तनुकातु  तीक्काय्वार  पोल्क  इकल  वेंदर  सेर्न्तोलुकुवार।

.G.U.POPE ----MINISTER WHO SERVE UNDER FICKLE-MINDED MONARCHS SHOULD ,
LIKE THOSE WHO WARM THEMSELVES AT THE FIRE,BE NEITHER (TOO)FAR,NOT(T00)
NEAR.

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