अर्द्धांगिनी
तिरुक्कुरल एक मौलिक ग्रन्थ है।
अतः उसकी शैली अपनी है।
उनको अपने कुरल में अन्य ग्रंथों को तुलना करने की जरूरत नहीं पड़ी।
वे खुद रचयिता और बोधक थे।
स्त्री और पुरुष दोनों के दिल में उठनेवाला एक विषय है पतिव्रता।
हर एक अपने अनुभव और चिंतन के अनुसार इसकी व्याख्या करते हैं।
वल्लुवर ने भी इस विषय पर अपना विचार प्रकट किया है।
पतिव्रता धर्म से बढ़कर एक नारी के लिए
और कुछ बड़ी संपत्ति संसार में नहीं है।
कुरल:--
पेंनिर्कू पेरून तक्क याउल कर्पेंनुं तिनमै पेरिन।
एक नारी के लिए पतिव्रता धर्म एक काफी है,
संसार में और प्राप्त करने कुछ नहीं है।
पावानर 'पतिव्रता 'का अर्थ निष्कलंक कहते हैं।
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तिरुक्कुरल एक मौलिक ग्रन्थ है।
अतः उसकी शैली अपनी है।
उनको अपने कुरल में अन्य ग्रंथों को तुलना करने की जरूरत नहीं पड़ी।
वे खुद रचयिता और बोधक थे।
स्त्री और पुरुष दोनों के दिल में उठनेवाला एक विषय है पतिव्रता।
हर एक अपने अनुभव और चिंतन के अनुसार इसकी व्याख्या करते हैं।
वल्लुवर ने भी इस विषय पर अपना विचार प्रकट किया है।
पतिव्रता धर्म से बढ़कर एक नारी के लिए
और कुछ बड़ी संपत्ति संसार में नहीं है।
कुरल:--
पेंनिर्कू पेरून तक्क याउल कर्पेंनुं तिनमै पेरिन।
एक नारी के लिए पतिव्रता धर्म एक काफी है,
संसार में और प्राप्त करने कुछ नहीं है।
पावानर 'पतिव्रता 'का अर्थ निष्कलंक कहते हैं।
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