मनुष्य मनुष्य की मित्रता एक दूसरे के
सुख-दुःख में भाग लेना है;
.नमक पानी के घुलने से नमक गल जाएगा;
.दोस्ती भी झूठा मिलने से गल जाएगा.
"लोकोक्ति चार सौ "नामक कविता को मूंनरुरैयनार ने लिखा है.
.उनमें मित्रता का स्वाभाविक रूप और मित्रता की छूट नामक दो शीर्षक है.
जानवर होने पर या भूत होने पर भी जो भी हो ,
मित्रता हो जाने पर
उनसे अलग होना
दुःख देनेवाला ही है।
जो मित्रता नहीं निभाते ,
उनसे मित्रता छोड़ना ही उचित है.
प्यार न करनेवालों से प्यार न करके
दोस्ती छोड़ना दवा के सामान है.
कांटे को कांटे से निकालना चाहिए.
चिरुपंचमूलं कारियासन लिखित ग्रन्थ है।
उस ग्रन्थ में उन्होंने कहा है--
दोस्तों को ऊंची स्थिति पर पहुंचाने में और देखने में
आनंद होना ही मित्रता है।
.नमक पानी के घुलने से नमक गल जाएगा;
.दोस्ती भी झूठा मिलने से गल जाएगा.
"लोकोक्ति चार सौ "नामक कविता को मूंनरुरैयनार ने लिखा है.
.उनमें मित्रता का स्वाभाविक रूप और मित्रता की छूट नामक दो शीर्षक है.
जानवर होने पर या भूत होने पर भी जो भी हो ,
मित्रता हो जाने पर
उनसे अलग होना
दुःख देनेवाला ही है।
जो मित्रता नहीं निभाते ,
उनसे मित्रता छोड़ना ही उचित है.
प्यार न करनेवालों से प्यार न करके
दोस्ती छोड़ना दवा के सामान है.
कांटे को कांटे से निकालना चाहिए.
चिरुपंचमूलं कारियासन लिखित ग्रन्थ है।
उस ग्रन्थ में उन्होंने कहा है--
दोस्तों को ऊंची स्थिति पर पहुंचाने में और देखने में
आनंद होना ही मित्रता है।
- मित्र को प्रसिद्ध बनाना चाहिए.
- दुश्मनों को नीचा करना चाहिए.
- रेशमी कपडे पहनी हुई सुन्दर महिला से मिलकर खुशी से रहना चाहिए.
- अपने खानदानी लोगों से अति प्यार रखना चाहिए.
- अन्य लोगों से भी प्यार करना चाहिए. (चिरुपंच्मूलम)
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