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Saturday, June 9, 2012

wife-patni.अर्द्धांगिनी--1



तिरुक्कुरल में मध्य भाग में शास्त्र को स्थान दिया गयाहै।
कुरल में सात शास्त्र है।
लेकिन देवानेयाप्पावानर आठ शास्त्र  का उल्लेख कियाहै।
वे हैं---भूमिका,
गृह -शास्त्र,
संन्यास ,
भाग्य या विधि शास्त्र,
राजनीती शास्त्र,
अंग -शास्त्र,
क्षेत्र ,पतिव्रत -शास्त्र।


गृह -शास्त्र के बीस अधिकारों में पत्नी  के गुण-लक्षण बताते हैं।
काम भाग के सात अधिकारों में और पतिव्रत -शास्त्र के अठारह अधिकारों में
 भावी --पत्नी के लक्षण  और पत्नी के लक्षण  बताये गए हैं।

गृहस्थ -जीवन,जीवन-साथी के लक्षण,संतान-भाग्य,अथिति-सत्कार,एकता-नीति,दान आदि अधिकारों में वल्लुवर  पत्नी के रूप में ही दर्शन करते है।
वे खुद पत्नी बनकर गृहस्थ  -जीवन को सुमार्ग दिखा रहे हैं।

गृहस्थ  जीवन को विशेष बनाने के सुविचार हम कुरल में देखते है।
जब हमारे मन में अच्छे जीवन को जानने  की इच्छा होती है,
तब कुरल पढने लग जातेहै।

पत्नी का अर्थ है गृह-स्त्री
.खेती की नायिका,
घर की मालकिन,आदि अर्थ।(wife,woman heroine,of pastoral or       agriculture tract,female owner of a house,heroine)

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