Saturday, June 2, 2012

YAARIमित्रता -रिश्ता --5

मदुरै कूडलूर किलार अपने मुदुमोलिक्कांची में कहा है --

-हमसे जो मित्रता नहीं निभाते,
उनकेलिए हम कुछ करना चाहते हैं तो तुरंत दरिद्रता घेर लेगी।

.एलादी नामक ग्रथ  में कनिमादेविअर का कहना है ---
हमारे दोस्त की मृत्यु,दुश्मनी ,दुःख आदि को अपना
  समझने का स्वभाव ही मित्रता  है।

 पतिनेन  कीलकनककू ग्रंथों में दोस्तों के बारे में शोध पूर्ण विचार प्रकट हुए हैं।


तिरुक्कुरल की सुन्दर भाव-व्यंजन को अनुवाद करके प्रकट करना आसान नहीं है;
.डॉक्टर किराल ने -no translation can convey any idea of its charmings effect,
it is truly on apple of gold in a net -work of silver.

तिरुक्कुरल चांदी के संदूक में रखे स्वर्ण -सेब है .
१३३० कुरलों में ५० कुरल मित्रता के बारें में है
मनुष्य कुल को मिला  बड़ा कोष हैं तिरुक्कुरल।


अर्थ-अधिकार में ७४ अध्याय से ९१ अध्याय तक २२ अध्यायों में पांच अंगों में मित्रता,
मित्रता पहचान ,बुरी संगती,असंगति आदि अंग दोस्ती के बारे में हैं.

pop ने इसे " the essentials of a state " कहा  है।

मित्रता का मतलब है, हितैषी, अच्छे लोगों के साथ का संपर्क  आदि।

बुरे लोगों की दोस्ती को पहले ही छोड़ देना चाहिये।

.pope --friendship with crooked persons.,evil friendship  कहा  है।

बुरे लोगों की चतुराई अच्छे को ठगना।

.वैसे  लोगों से मित्रता रखने पर आजीवन कष्ट झेलना  पडेगा।
.एक व्यक्ति की सच्चाई  पर पहले ध्यान देना चाहिये।
.जो अति प्यार से हमसे गले लगायेंगे,
 उनको पहले छोड़ देना चाहिए;
मधुर भाषी  हमको  धोखा भी दे सकते हैं।

तिरुवल्लुवर ने कहा है--बुरे मित्र की आँखें ऐसी लगेगी,जो हमें निगल जायेंगी; .

उनके प्यार में हम अपना सर्वस्व त्याग देंगे.
ऐसी मित्रता को घटाना ही भला है.

मनक्कुडवर के बारे में एम्.एस.पूर्ण लिंगम पिल्लई ने बताया है---all the editors EUROPEAN AND INDIAN HAVE CLOSELY FOLLOWED PARIMELALAGR'S COMMENTARY,WITH ALL ITS DEFECTS MANAKUDAVAR'S COMMENTARY,PUBLISHED THREE YEARS AGO,SEEMS TO BE IN SOME RESPECTS,BETTER THAN PARIMELALAGARS AND HIS LOGICAL ARRANGEMENT OF THE COUPLETS IN EACH CHAPTER AND HIS SENSIBLE NOTES ARE TWO OF ITS BRIGHT FEATURES.

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