जिसमें प्यार ही प्यार है,उनसे की हुईं बुराइयाँ भी विशेष भलाई हो जायेगी.
शत्रु या प्यारहीन लोगों की गलतियाँ और बुराइयाँ दुखप्रद ही होंगी.
लेकिन प्यार भरे लोगों की बुरे कर्म दिलमें रह्- रहकर विशेष प्रेम में बदल जाएगा।
.तीसरा है असंग मित्रता .बड़े लोगों की मित्रता वर्षा की तरह हितप्रद है;
जिसमें सद्गुण नहीं है,उनसे मित्रता रखना
सूखे आकाश की तरह निष्फल होगा।.
जिसमें सुन्दरता है,उसका व्यवहार,अनुशासनहीन
होने पर स्वादिष्ट दूध में पानी मिलाने के सामान ही रहेगा।
घृणा प्रद उदाहरण से कवि का कहना है
,नाग का सम्भोग निचले सांप के साथ कैसा होगा?.कबिलर ने इन्नानार्पतु में कहा है -
दोस्तोंका दुःख अति-कष्टदायक है.
.पूदंचेत्तानार ने कहा कि दोस्तों की भलाई करना सुखप्रद है.
तिरिकडुकम में नल्लादनार नामक कवि ने कहा है---
बिना कर्जा के जीना कठोर प्रयत्न है.
घर में आये अथिति की सेवा बडा उपकार है
.एक की कही हुई बात को बिना भूले रहना सुविचारक के गुण है;
इन गुणों के लोगों से मित्रता रखनेवाला चतुर है.
अध्यावसायी बिना कर्जा के जीनेवाला है.
किसान , अथिति सत्कार करनेवाला,.स्मरण रखनेवाला आदि
तीनों एकसाथ रहना सुखप्रद है
.दोस्ती में झूठ बोलना बुरा है.
शत्रु या प्यारहीन लोगों की गलतियाँ और बुराइयाँ दुखप्रद ही होंगी.
लेकिन प्यार भरे लोगों की बुरे कर्म दिलमें रह्- रहकर विशेष प्रेम में बदल जाएगा।
.तीसरा है असंग मित्रता .बड़े लोगों की मित्रता वर्षा की तरह हितप्रद है;
जिसमें सद्गुण नहीं है,उनसे मित्रता रखना
सूखे आकाश की तरह निष्फल होगा।.
जिसमें सुन्दरता है,उसका व्यवहार,अनुशासनहीन
होने पर स्वादिष्ट दूध में पानी मिलाने के सामान ही रहेगा।
घृणा प्रद उदाहरण से कवि का कहना है
,नाग का सम्भोग निचले सांप के साथ कैसा होगा?.कबिलर ने इन्नानार्पतु में कहा है -
दोस्तोंका दुःख अति-कष्टदायक है.
.पूदंचेत्तानार ने कहा कि दोस्तों की भलाई करना सुखप्रद है.
तिरिकडुकम में नल्लादनार नामक कवि ने कहा है---
बिना कर्जा के जीना कठोर प्रयत्न है.
घर में आये अथिति की सेवा बडा उपकार है
.एक की कही हुई बात को बिना भूले रहना सुविचारक के गुण है;
इन गुणों के लोगों से मित्रता रखनेवाला चतुर है.
अध्यावसायी बिना कर्जा के जीनेवाला है.
किसान , अथिति सत्कार करनेवाला,.स्मरण रखनेवाला आदि
तीनों एकसाथ रहना सुखप्रद है
.दोस्ती में झूठ बोलना बुरा है.
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