Friday, June 8, 2012

dostiमित्रता -रिश्ता-9

दोस्ती  का अर्थ  प्रेमी भी है।

दीर्घ काल के संपर्क स्त्री होने पर प्रेम होता है

पुरुष हो तो मित्रता ;

वह भी एक प्रकार का प्यार ही है।
जैसे प्रेमिका को भूल  नहीं सकते;

वैसे ही मित्र की याद हमेशा बनी रहती है।
वल्लुवर ने कहा है-----दोस्ती में विद्वत्ता उसी में है ,
जो दोस्त की मांग या चाह  को जान-पहचानकर
हक़ लेकर   उसकी चाह की पूरी करना।

उस चाह में रूचि बढ़ने का अधिकार लेना।
मित्रता का अंग है अधिकार लेना।

बड़े लोग उस अधिकार के लिए मधुर बनते हैं।

नमक खारा है;उस खारेपन में भी मिठास लाना मित्रता है।

THE SECRET TO A LONG-LASTING FRIENDSHIP IS HONOURING THE UNWRITTEN RIGHTS AND OBLIGATIONS ESTAABLISHED LONG AGO;NOBLE PEOPLE PRACTICE IT.

मित्रता  अति पुरातन है;इसी में विशेषता है।

दोस्ती  का आदर्श उदाहरण  महाभारत में मिलता है।

मित्रता में ज़रा भी शक को स्थान देना मित्रता को भंग करती है;

 कर्ण  दुर्योधन की पत्नी के साथ जुआ खेल रहा  था;
 तब वहां अचानक दुर्योधन आया;
उसकी सेवा करने उसकी पत्नी भानुमती उठी तो कर्ण ने समझा --
 वह हार के भय से उठती है;
तुरन्त  उसने उसका वस्त्र पकड़कर खींचा तो
उसकी साडी में जड़े मोती गिर पड़े।

तब दुर्योधन दौड़कर आया;मोती चुगने लगा और बिना शक किये पूछा ---

मैं इन मोतियों को जमा करूं  या जोडू .

यह पुरातन दोस्ती है;पूराण की यारी है।

दुर्योधन  को  कर्ण के साथ अपनी पत्नी का  जुआ खेलना  गलत नहीं   लगा।
उसके मन में  सम्मान ही रहा  मित्रता का।
गलत विचार न उठा।
मित्र का कार्य घृणाप्रद हो तो यों ही समझना उचित है ---

वह उसकी अज्ञानता है  या अधिकार है।

हमें  सह लेना है;उसके प्यार पर संदेह का भाव ठीक नहीं है।

कुरल है-----मित्र का दुःख और घृणाप्रद कर्म अति हक़ के कारण ही; या अबोध के कारण है।
इस बात को पूर्ण लिंगम पिल्लई  वल्लुवर के व्यक्तित्व की तारीफ में कहते हैं---

THE LANGUAGE  OF THE POEM IS PURE TAMIL,AND  ITS CAPACITY TO EXPRESS ANY THOUGHT  ,WITTY,HUMOROUS AND SUBTLE,IS EVIDENCED IN EACH COUPLET.

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