Wednesday, June 20, 2012

6.mantriमंत्री=अमात्य=सामंत+++++



नीति नेरी विलककम ---शिक्षित  भरी सभा में बोलने डरता है  और उसका  शरीर कांपता है,तो  उसका शिक्षित होना बेकार है। अशिक्षित का निर्भय  भाषण बेकार है। धनी  जो दानी नहीं, तो धन उसका बेकार है।गरीबी में दुःख  ये सब  नालायक हैं।

हाथी अपने बच्चे को प्रशिक्षित करने,अपने भावी जीवन के कष्टों का सामना करने बार-बार  बच्चे को नीचे धकेलता है.इसका मतलब यह नहीं ,हाथी  को अपने बच्चे पर प्यार नहीं है।और धकेलना अपने बच्चे के कल्याण केलिए है।

उस माता हाथी के जैसे ही वल्लुवर हमें सुमार्ग पर चलने के लिए   कठोर शब्द का प्रयोग करते हैं।
जितना हम सीखते हैं,उतना लाभ  पाना  और उत्पादन बढना चाहिए।
शिक्षित होकर  सज्जनों के दरबार में  डरनेवाले अनपढ़ लोगों से तुच्छ है.

कुरल:  कल्लातवरीर  कडै  येनब  कटररिन्तु   नाल्लारवै   यंजुवार। 

A SCHOLAR WHO IS AFRAID TO    ADDRESS  AN ASSEMBLY OF LEARNED MEN IS INFERIOR TO AN UNEDUCATED MAN.

अधिकारी  अपने सहायक  या चपरासी को तभी चाहेगा,जब वह सहायक या चपरासी उसके संकेत मात्र से उसकी मांग या आदेश समझकर कार्य में लगता हो।

अतः एक राजा  भी अपने मंत्री को अति  अक्लमंद  देखना चाहता है।अपने संकेत मात्र से अपने मनोभाव के अनुसार कार्रवाई करने वाला मंत्री चाहता है। राजा  के  संकेत जानना-समझना एक मंत्री का अत्यावश्यक गुण
 है।

A Minister who is able to read the king's mind like a God will be of great worth o a king. Such thought reading ministers my be one in shape and form with others but differ in the caliber of their minds. Among the means of thought - reading the face and the eyes stand foremost. The face is an index of the mind and it is bright or gloomy in consonance with the joy or gloom of the mind. If a king has thought - readers by his side, he should simply stand looking at their face. The thought reading ministers can easily discover the lurking harted or love of foreign rulers.
















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