Thursday, June 14, 2012

अर्द्धांगिनी-- 13



तिरुवल्लुवर  अतिथि सेवा में मुस्कराहट को प्रधान माना हैं।

हम किसी को निमन्त्रण  देते हैं।
निमंत्रित अतिथि के आते ही उनका भव्य स्वागत करना चाहिए।
यदि हमारे अतिथि-सत्कार में ज़रा-सी उदासी दीख पड़ें तो मेहमान दुखी होंगे।

उदाहरण के लिए वे अनिच्छि नामक फूल को बताते हैं।
वह फूल सूंघते ही सूख जाएगा.
 वैसे ही हम ज़रा अपने व्यवहार में कटुता दिखाएँगे तो
 वे सूखकर  तुरंत घर से निकल जायेंगे।
हामारे व्यवहार  और बात में 
केवल मधुरिमा ही होनी चाहिए।

कुरल:मोप्पक्कुलैयुम अनिच्चम  मुकंतिरिन्तु  नोक्कक  कुलैयुम  विरुन्तु।



IT IS AN EXCELLENT HABIT TO RECEIVE GUESTS WITH A WELCOMING SMILE!
पति से बढ़कर पत्नी के चेहरे पर अति मिठास और मुस्कराहट की ज़रुरत है।
पति-पति दोनों के व्यवाहर में कोई कमी अतिथि के मन को दुखी बनाएगा।
अतः अतिथि-सत्कार में पति-पत्नी दोनों की जिम्मेदारी सामान है।

g.u.pope---THE KNOWLEDGE OF WHAT IS BEFITTING A MAN'S POSITION.
इसे एक ही शब्द में  GENEROSITY अर्थात उदारता कहकर समझा सकते हैं।

आत्तिच्चूडी  में अव्वैयार ने लोकोपकार पर जोर दिया है।

एकता,समाधान,भी कहते हैं।


लोकोपकार :ओरुयिर्क्के  उडम्बलित्ताल  ओप्पुरवु इन्गेन्नावाकुम।(पेरुन्तोकई).


अंग्रेजी में --RECONCILIATION,UNIVERSAL BEHAVIOUR,TRADITIONAL CUSTOM,
PHILANTHROPHY,AGREEMENT EVENNESS कहते हैं।


सांसारिक व्यवहार,परम्परागत प्रणाली,उपकार,एकता,समान भाव आदि
अतिथि सत्कार के अंतर्गत आते है।

प्रत्युपकार पर वल्लुवर बार-बार बल देते हैं।
वे लोगों से  धार्मिक जीवन की प्रतीक्षा करते हैं।

उनका कहना है ---बादल  संसार की भलाई के लिए पानी बरसाता है;
बादल का प्रत्युपकार हम नहीं कर सकते।

वैसे ही बड़े  दानियों को प्रत्युपकार कर नहीं सकते।


कुरल: कैमारु वेंडाक  कडप्पाडू   मारीमाट्टू   एन्नात्रुंग  कोल्लो  उलकू।

G.U.POPE---BENEVOLENCE SEEKS NOT A RETURN. WHAT DOES THE WORLD GIVE BACK TO THE CLOUDS.

कपिलर ने कहा---पारी एक दानी  राजा है;वर्षा के सामान उपकार संसार में और क्या हो सकता है।
संसार में जो मदद नहीं करता वह शव ही है।जीनेवाला मददगार है;जो मदद नहीं करता वह चलता-फिरता लाश ही है।

वल्लुवर ने कहा--मदद करनेवाला ही  जीता  है;दूसरों की गिनती  मरे हुए लोगों में ही की जायेगी।
वल्लुवर की भाषा साहित्यिक  नहीं ,जीवन से सम्बंधित है।

कुरल:-  ओत्तारिवान  उयिर्वाल्वान  मटरै यान  सेत्तारुल  वैक्कप्पडुम।


वल्लुवर ने कहा  ---धन तो दयालू और उदार के हाथ में लगना चाहिए।
वह धन औषध पेड़ के समान दूसरों के लिए  काम आएगा।
औषधि पेड़ का हर हिस्सा फूल,पत्ते,छिलका,जड़ उपयोगी है।
वैसे ही दानी का धन काम आयेगा।

कुरल :- मरुन्दाकी तप्पा   मरत्तात्रार सेलवम   पेरुनतकै   यान कट  पडिन .








No comments:

Post a Comment