अतिथि का मतलब है निमंत्रित आदमी जो घर आया है।
अतिथि सत्कार .न्यू comer ,guest,feast ,banquet.
प्रेमी अपने स्वप्न में आने पर कैसे दावत दूँ ?
कुरल:- कातलर तूतोडु वन्त कनवनुक्कू यातु सेयवेन कोल्विरुन्तु।
तिरुक्कुरल में पति-पत्नी दोनों होड़ लगाकर मेहमान का सत्कार करते हैं।
दावत का भाव वाचक गुण उदार दिल का परिचय देता है।
गृहस्थ -जीवन बिताने वाले पति-पत्नी दोनों अपने घर आये हुए बड़े लोग,
जितने दिन रहते हैं ,उतने दिन आवास-भोजन आदि की व्यवस्था अपने घर में करना अतिथि-सत्कार है।
वल्लुवर ने कहा है ---गृहस्थ का महत्व अतिथि सत्कार करने में ही है।
इरुन्तोम्बियल वाल्वतेल्लाम विरुन्तोम्बी वेलान सेय्तर पोरुट्टू .(कुरल)
स्वर्ग की चिंता या स्वर्ग पर विश्वास रखनेवालों को दान देना ही उत्तम -गुण है।
जो अतिथि सेवा में लगे रहते हैं,वे कभी गरीबी के चक्र में नहीं पड़ते।
कुरल:-वरुविरून्तु वैकलुम ओम्बुवान वाल्क्कै परुवन्तु पाल्पदुतालिंरू।
money spent on hospitality will not ruin one's home .
चिरुपंच्मूलम कारियासन रचित ग्रन्थ है।
इसमें पत्नी के फ़र्ज़ पर कहा गया है--पति की आमदनी को जानना,
नाते-रिश्तों की सेवा करना,
अतिथि सेवा करना,ईश्वर की प्रार्थना करना आदि
.
तमिल सिरुपंचामूलम:-
वरुवाय्क्कू तक्क वलक्करिन्तु सुटरम
वेरुवामै वील्न्तु विरुन्तोम्बित -तिरुवाक्कुंच
तेय्वात्तई एग्ग्यांरुम तेतर वलिपाडु
सेयवते पेंडिर चिरप्पू।
वल्लुवर कहते हैं कि मेहमानों को पहले खिला-पिलाकर
बची खाना खाने वाले पति-पत्नी के खेत में बीज बोने की भी आवश्यकता है क्या?
नहीं।अतिथि सेवा का फल अति अपूर्व है।
कुरल :
वित्तुमिडल वेंडूम कोल्लो विरुन्तोम्बी मिच्चिल मिसैवान पुलं।
When a hospitable person lives a good life by sharing his harvest generously with others he has no problems safe guarding his crops the community will come forward to help.
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