Thursday, June 7, 2012

mitrataमित्रता -रिश्ता--8

वल्लुवर में विशेष  कौशल  है।
धोखे में दुश्मन दोस्त बन जाए तो उनसे बचने का एक छूट देते हैं ---
शत्रु मित्र बन गया तो तुम भी उसके समान मित्र का अभिनय करो।
हँस -मुख रहो।बाहर  दोस्ती-सा व्यवहार
.जरूरत न हो तो मित्रता तजो।
बुरी संगती से असंगति बड़ा खतरनाक होता है।
बुरी  दोस्ती प्रकट होने की संभावना है। कुसंगति में पड़ने पर वह

केंसर रोग के सामान है।दर्द   नहीं; रोग अति बढ़ने पर ही मालूम  होगा;,
अचानक मृत -अवस्था में डाल  देगा।।
कुसंग -रोग का निदान अंतिम समय में होगा।
निदान  के बाद दिन गिनना ही शेष रहेगा।बचना कठिन है।
वहीं हालत है असंगति का।

मित्रता  की स्थिरता  का अध्याय है पुरातन.
दीर्घकाल निकटता .अंग्रेजी में  antiquity,longstandig intimacy कहते हैं।

वल्लुवर ने जो पुरातनता  को  मित्रता केलिए प्रयोग किया है,
उसे  'familirity',long-lasting friendship
कहकर भी अनवाद कर चुके हैं।
प्राचीनता  -दीर्घ काल की मित्रता का मतलब है,
मित्र के कर्म या बात को बिन सोचे -विचारे अपनाना।
हकदार बन जाना।
हक़दार का मतलब है हानी -लाभ को एक सामान मानना या सहना।
यही मित्रता की  परिपक्वता है।
जग में कोई भी निर्दोष या निष्कलंक नहीं है।
अतः  दीर्घकालीन मित्र के दोषों को सह लेना ही मित्रता का पहचान है।
मित्र के अपराधों को सहर्ष सह लेना मित्र का कर्त्तव्य हो जाता है।
यह वल्लुवर के  प्रेम की आज्ञा    है।
वल्लुवर एक सर्वश्रेष्ठ मित्र है।वे तो मित्र-स्वरुप है।
मित्र का मतलब है सखा। COMPANION/ASSOCIATE 

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